मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

जैन धर्म में योग

भारतपीडिया से

जैन धर्म में योग अत्यन्त प्राचीन है। जैन धर्म के अनुसार योग के प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव जी है, वे संसार के प्रथम योगी थे।जैन धर्म में तीर्थंकर महाप्रभु पद्मासन और खड्गासन कि मुद्राओ में नजर आते है, भगवान महावीर को केवल ज्ञान गौ दुहा आसन्न में हि हुआ था, पुरातात्विक साक्ष्यो के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता मे मिली जैन तीर्थकरो कि मूर्तिया कार्योत्सर्ग योग कि मुद्रा मे थी। सभी जैन मुनि योग अभ्यास करते है। इन्मे आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ जी का प्रेक्षा ध्यान प्रसिद्ध है। आचार्य शिव मुनि (जैन आचार्य) जी जैन श्रमण संघ के प्रसिद्ध ध्यान योगी है। जैन धर्म कि तपस्या मे योग का विशेष महत्व है, क्योकि जैन धर्म में योग के मुख्य पहलु अंग , आसन्न, व प्राणायाम को अपनाया है। जैन धर्म के प्रमुख पंच महाव्रत हिन्दु धर्म में वर्णित अष्टांग योग के अंग के हि समान है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

साँचा:जैन विषय