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तेमसुला आओ या तेमसुला अओ अंग्रेज़ी भाषा की एक जानी-मानी कवयित्री, कथाकार और वाचिक संग्रहकर्ता (एथनोग्राफर) हैं। वे नॉर्थ ईस्टर्न हिल युनिवर्सिटी (एनईएचयू) से अंग्रेजी की सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं, जहां उन्होंने 1975 में अध्यापकीय जीवन शुरू किया था। 2013 में साहित्य अकादमी ने उनके अंग्रेजी कहानी संग्रह लबरनम फ़ॉर माइ हेड [१] को अकादमी पुरस्कार से नवाजा है। वर्तमान में वे नागालैंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष[२] भी हैं।
जीवन-परिचय
तेमसुला अओ का जन्म अक्टूबर 1945 में असम के जोरहाट में हुआ। उनके पिता इनामहथोंगबा चांगकीरी जोरहाट स्थित बड़भिट्टा ईसाई अस्पताल में सुपरवाइजर थे। मां नोक्सिंटेम्ला लॉन्गकूमर हाउसवाइफ थीं। छोटे भाई के जन्म के थोड़े ही दिनों बाद कुछ महीनों के अंतराल पर उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। मैट्रिक की पढ़ाई के दिनों में डॉ. अओ की शादी हो चुकी थी पर आगे चलकर दोनों में अलगाव हो गया।[३]
आरंभिक शिक्षा के बाद रीगावे गर्ल्स हाई स्कूल, गोलाघाट, असम से उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की और फजल अली कॉलेज, मोकोचुंग, नागालैंड से बी.ए. का अध्ययन विशिष्टता के साथ पूरा किया। गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम से अंग्रेजी में एम.ए. करने के बाद उन्होंने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज (वर्तमान में इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी) हैदराबाद से अंग्रेजी शिक्षण में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा किया और पीएचडी नॉर्थ ईस्टर्न हिल युनिवर्सिटी से की। 11985-86 में वह फुलब्राइट फेलो के रूप में मिनेसोटा विश्वविद्यालय में रहीं तथा 1992-97 तक प्रतिनियुक्ति पर पूर्वाेत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, दीमापुर की निदेशक के रूप में कार्य किया।[४]
21 दिसंबर 2012 में नागालैंड सरकार ने उन्हें राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया। तब से अब तक वे इस पद पर रहते हुए कार्य कर रही हैं।
2007 में उन्हें पद्म श्री[५] का सम्मान मिला। मेघालय सरकार द्वारा 2009 में उन्हें राज्यपाल स्वर्ण पदक से भी विभूषित किया गया। तेमसुला अओ अंग्रेजी साहित्य में पूर्वाेत्तर भारत की एक प्रमुख आदिवासी आवाज मानी जाती हैं।
उनकी रचनाओं का अनुवाद जर्मन, फ्रेंच, असमिया, बंगाली और हिंदी भाषाओं में हुआ है।[६]
साहित्य-सृजन
तेमसुला आओ ने साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में लेखन किया है। कविता, कहानी, संस्मरण और वाचिक साहित्य (एथनोग्राफी) का संकलन। उनकी सबसे पहले प्रकाशित पुस्तक है ‘सोंग्स दैट टेल’ (कविता संग्रह) जो 1988 में छपी थी। अब तक इनके पांच कविता संकलन, दो कहानी संकलन, एक वाचिक साहित्य संकलन (एथनोग्राफी) और एक आत्मकथात्मक संस्मरण पुस्तक प्रकाशित हैं। डॉ. आओ ने एक उपन्यास भी वर्ष 2017 में लिखा है।
कविता संग्रह
- सोंग्स दैट टेल (राइटर्स वर्कशॉप्स, कोलकोता, 1988)
- सोंग्स दैट ट्राइ टू से (राइटर्स वर्कशॉप्स, कोलकोता, 1992)
- सोंग्स ऑफ मेनी मूड्स (कोहिमा साहित्य सभा, 1995)
- सोंग्स फ्रॉम हियर ऐंड देयर (नॉर्थ हिल्स युनिवर्सिटी, 2003)
- सोंग्स फ्रॉम द अदर लाइफ (ग्रासवर्क बुक्स, पूणे, 2007)
कहानी संग्रह
- दिज हिल्स कॉल्ड होम: स्टोरीज फ्रॉम वार जोन (पेंग्विन, 2006)
- लबरनम फॉर माई हेड (पेंग्विन/जुबान, 2009)
उपन्यास
- आओसेनलाज स्टोरी (जुबान, 2017)
संस्मरण
- वन्स अपोन ए लाइफ: बर्न्ट कर्री एंड ब्लडी रैग्स: ए मेमोयर (जुबान, 2014)
वाचिक साहित्य (एथनोग्राफी)
- द आओ-नागा ओरल ट्रेडिशन (भाषा पब्लिकेशन, बड़ौदा, 1999)
सम्मान
- पद्मश्री 2007
- राज्यपाल स्वर्ण पदक 2009
- साहित्य अकादमी अवार्ड 2013
- कुसुमाग्रज राष्ट्रीय साहित्य सम्मान 2015[७]