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'धर्मनिरपेक्षता, पंथनिरपक्षता या सेक्युलरवाद धार्मिक संस्थानों व धार्मिक उच्चपदधारियों से सरकारी संस्थानों व राज्य का प्रतिनिधित्व करने हेतु शासनादेशित लोगों के पृथक्करण का सिद्धान्त है। यह एक आधुनिक राजनैतिक एवं संविधानी सिद्धान्त है। धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव[१] है 1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। 2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
इतिहास
धर्मनिरपेक्षता (सेक्यूलरिज़्म) शब्द का पहले-पहल प्रयोग बर्मिंघम के जॉर्ज जेकब हॉलीयाक ने सन् 1846[२] के दौरान, अनुभवों द्वारा मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने के तौर तरीक़ों को दर्शाने के लिए किया था। उनके अनुसार, “आस्तिकता-नास्तिकता और धर्म ग्रंथों में उलझे बगैर मनुष्य मात्र के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित ज्ञान और सेवा ही धर्मनिरपेक्षता है”।
छद्म धर्मनिरपेक्षता
साँचा:मुख्य धर्मनिरपेक्ष देशों में धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए तमाम तरह के संविधानिक क़ायदे कानून हैं। परंतु प्रायः राष्ट्रों के ये क़ायदे क़ानून समय-समय पर अपना स्वरूप बहुसंख्य जनता के धार्मिक विश्वासों से प्रेरित हो बदलते रहते हैं, या उचित स्तर पर इन कानूनों का पालन नहीं होता, या प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष स्तर पर इनमें ढील दी जाती रहती हैं। यह छद्म धर्मनिरपेक्षता है।
इन्हें भी देखें
- धर्मनिरपेक्ष राज्य यह एक राज्य के अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है यह राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग है
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
साँचा:Library resources box साँचा:Wiktionary साँचा:Wikiquote
- धर्मनिरपेक्षता – एक नई सोचसाँचा:Dead link (छींटें और बौछारें)
- Secularism 101: Religion, Society, and Politics
- SecularSites
- Institute for the Study of Secularism in Society and Culture
- Freethought Bibliography--Major Secular Texts
साँचा:Irreligion साँचा:Age of Enlightenment साँचा:Theology साँचा:Religion topics साँचा:Relpolnav
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ Feldman, Noah (2005). Divided by God. Farrar, Straus and Giroux, pg. 113