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पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI, उर्दू: پاکستان تحريکِ انصاف) पाकिस्तान में एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। इसकी जिसकी स्थापना इमरान खान ने १९९६ में की थी। इमरान खान २०१८ से लेकर २०२२ तक पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री थे। यह दल पाकिस्तान में तेजी से उभरता हुआ राजनीतिक दल माना जा रहा है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है क्योंकि इसके पास १ करोड़ से अधिक पञ्जीकृत सदस्य हैं।
इमरान खान की प्रसिद्धि के पश्चात् भी १९९७ तथा २००२ के महानिर्वाचनों में इमरान खान को छोड़कर PTI का एक भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया था। PTI ने १९९८ से लेकर २००७ तक परवेज़ मुशर्रफ़ के सैन्य शासन का समर्थन किया था और फिर मुशर्रफ़ पर निर्वाचनों में धाँधली का आरोप लगाकर २००८ के महानिर्वाचन का बहिष्कार किया।
मुशर्रफ के शासनकाल के समय "तीसरा मार्ग" की वैश्विक लोकप्रियता में केन्द्र-वामपन्थी PPP और केन्द्र-दक्षिणपन्थी PML-N का प्रभाव कम हुआ जिससे पाकिस्तान में एक नये राजनीतिक गुट का उदय हुआ। जो कि स्वयं को “मध्यमार्गी" कहता था। मुशर्रफ़ की अध्यक्षता के बाद PML-Q का पतन आरम्भ हुआ, तो अधिकतर मध्यमार्गी मतदाताओं ने PTI को मतदान करना चालू कर दिया। PTI के लिए सोने पर सुहागा तो यह हो गया कि ठीक उसी समय PPP की लोकप्रियता भी घटने लगी थी क्योंकि यूसुफ़ रज़ा गिलानी को निरर्हित घोषित कर दिया गया था। इसके लोकलुभावने वादों तथा लोकप्रियता के चलते पञ्जाब और खैबर-पख्तूनख्वा में इसके मतदाताओं की सङ्ख्या बढ़ने लगी थी।
इतिहास
स्थापना तथा प्रारम्भिक दिन
इमरान खान ने २५ अप्रैल १९९६ को लाहौर में सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन (Socio-political movement) के रूप में PTI की स्थापना की। इमरान खान के नेतृत्व में PTI की पहली केन्द्रीय कार्यकारी समिति बनी। जिसमें नईम-उल हक, एहसान राशिद, हफीज खान, मोवहिद हुसैन, महमूद अवान, नाउशेरवान बर्की को संस्थापक सदस्यों के रूप में सम्मिलित किया गया।
२००७ में बेनजीर भुट्टो की हत्या और सउदी अरब से नवाज़ शरीफ़ के लौपने के पश्चात् राष्ट्रपति मुशर्रफ़ पर निर्वाचन करवाने के दबाव बढ़ने लगा। सर्व दलीय लोकतान्त्रिक आन्दोलन में जुड़ने के पश्चात् PTI ने सैन्य शासन का विरोध करना चालू किया और २००८ के महानिर्वाचनों में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की जीत हुई, किन्तु PTI ने इन निर्वाचनों का यह कहकर विरोध किया कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने इनमें धाँधली की है।
PTI ने नवम्बर और दिसम्बर २००८ में सदस्यता अभियान चलाया और १,५०,००० नये सदस्यों को अपने दल में जोड़ा।
परवेज़ खट्टक की सरकार
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) २०१३ के महानिर्वाचनों के बाद महत्वपूर्ण बन गयी। जिसने विभिन्न विषयों पर सरकार का विरोध किया। पञ्जाब और खैबर पख्तूनख्वा में PTI प्रतिपक्षी दल बन गया और इमरान खान अपने दल के संसदीय नेता बन गये।
PTI ने खैबर पख्तूनख्वा के पश्चिमोत्तर भाग में चुनावी जीत प्राप्त की और प्रान्त में सरकार बनायी। जिसे परवेज़ खट्टर प्रशासन के नाम से जाना जाता है और इसी समय पर PTI के नेतृत्ववाली सरकार ने २०१३-२४ में कर-मुक्त बजट प्रस्तुत किया था। खट्टक ने निर्धनों के लिए जीवन बीमा स्कीम, सेहत सहूलत कार्यक्रम जैसे स्वास्थ्य सुधार किये और ‘जीवन के लिए इंसुलिन ’ निधि गठित। खट्टक ने चिकित्सालयों का भी निरीक्षण किया और अभिकथित भ्रष्ट कर्मचारियों और अनुपस्थित कर्मचारियों को प्रायः मौके पर ही निलम्बित कर देते थे। पुलिस में भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान चलाये और जो अधिकारी भ्रष्ट पाया गया, उस पर कार्रवाई हुई।
13 नवंबर 2013 को PTI के अध्यक्ष इमरान खान ने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमन्त्री परवेज खटक को आदेश दिया कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर कौमी वतन पार्टी (क्यूडब्ल्यूपी) के बख्त बैदार और इबरार हुसैन कामोली को हटाया जाये तथा PTI के साथ पार्टी के गठबन्धन को समाप्त किया जाये। इसके पश्चात् जनशक्ति एवं उद्योग मन्त्री बख्त बैदार तथा वन एवं पर्यावरण मन्त्री इबरार हुसैन कामोली को हटा दिया गया।
२०१३ के महानिर्वाचन के एक वर्ष पश्चात् PTI ने आरोप लगया कि सत्तारूढ दल PML (N) को जिताने के लिए महानिर्वाचनों में धाँधली की गयी थी। १४ अगस्त २०१४ प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ का त्यागपत्र एवं निर्वाचन में हुई धोखाधड़ी की जाँच करने की माँग करते हुए इमरान खान के नेतृत्व में PTI समर्थकों ने लाहौर से इस्लामाबाद तक रैली निकाली। PML (N) के समर्थकों ने गुजराँवाला में PTI की रैली पर पथराव किया, हालाँकि इस पथराव में किसी कोई चोट नहीं लगी। १५ अगस्त २०१४ को PTI समर्थकों ने इस्लामाबाद में प्रवेश किया और उसके कुछ दिन पश्चात् वे इस्लामाबाद के कड़े सुरक्षा वाले Red Zone में घुस गये। इस्लामवादी समाचार-पत्र अल-जज़ीरा के अनुसार १ सितम्बर २०१४ को प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ के आधिकारिक आवास पर घुसने का प्रयत्न किया और परिणामस्वरूप वहाँ पर हिंसा हुई। उसमें तीन लोगों की मौत हुई तथा ११५ पुलिसकर्मी समेत ५९५ से अधिक लोगों को चोटें आयीं।[१] हिंसा से पहले इमरान खान ने अपने समर्थकों से कानून हाथ में लेने को कहा था। थिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि तीन लोगों की मौत हो गयी।[२]
सन्दर्भ
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