मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

पुनरुज्जीवन

भारतपीडिया से

साँचा:स्रोतहीन ईसाइयों का विश्वास है कि क्रूस पर मरने के बाद ईसा तीसरे दिन अपनी कब्र से उठकर पुनर्जीवित हुए थे। उसी घटना की स्मृति में पिनरुज्जीवन या पुनरुत्थान पर्व मनाया जाता है, जो ईसाई धर्म का प्राचीनतम और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।

जिस समय ईसा का पुनरुत्थान हुआ था उस समय येरुसलेम में 'पास्का' नामक यहूदियों का सबसे बड़ा त्योहार मनाया जाता था। अत: ईसाइयों में ईसा का पुनरुत्थान पर्व भी पास्का कहलाता है। यहूदी लोग वसंत की प्रथम पूर्णिमा को पास्का मनाते थे, ईसाइयों का पुनरुत्थान पर्व भी वसंत के सयन (२१ मार्च) को ही अथवा इसके ठीक बाद पड़नेवाली पूर्णिमा के अनुसार निश्चित किया जाता है। उस पूर्णिमा के बाद के प्रथम इतवार को पुनरुत्थान पर्व मनाया जाता है, क्योंकि ईसा इतवार को पुनर्जीवित हुए थे।

यहूदियों का पास्का पर्व बहुत प्राचीन था। वह पहले वसंतकालीन यज्ञ था, जिसमें झुंड के लिए आशीष माँगने के उद्देश्य से एक पशु का वलिदान चढ़ाया जाता था। बाद में जब यहूदी मिस्र देश की गुलामी से मुक्त हो गए थे, वह पर्व उस दासता की मुक्ति का स्मरणोत्सव बन गया। फिलिस्तीन देश में बस जाने के बाद जौ (यब) की फसल का त्योहार भी पास्का पर्व के साथ मिला दिया गया। सातवीं शती ई.पू. से वह पर्व केवल राजधानी येरुसलेम में मनाया जाता था और सभी वयस्क यहूदी उस समय येरुसलेम आया करते थे। ईसाई धर्म में पुनरुत्थान पर्व की प्रार्थनाओं में ईश्वर के द्वारा मिस्र की गुलामी से यहूदियों की मुक्ति तथा ईसा के बलिदान द्वारा पाप की गुलामी से ईश्वर की प्रजा की मुक्ति तथा ईसा के बलिदान द्वारा पाप की गुलामी से ईश्वर की प्रजा की मुक्ति, ईसा का पुनरुत्थान इन सब बातों का स्मरण दिलाया जाता है।

इन्हें भी देखें