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पृथ्वी चन्द (1558-1618) सिखों के चौथे गुरु, गुरु राम दास के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनकी इच्छा थी कि गुरु राम दास उन्हें गुरु बना दें किन्तु गुरु राम दास जी ने अपने सबसे छोटे बेटे अर्जन दास को गुरु का पद प्रदान कर दिया जो उस समय १८ वर्ष के थे। यह बात पृथ्वी चन्द को अच्छी नहीं लगी और उन्होने सिख पन्थ का एक नया उपपन्थ ही आरम्भ कर दिया।