प्रवचनसार
साँचा:जैन धर्म प्रवचनसार आचार्य कुन्दकुन्द की एक [१]महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है यह समयसार के बाद की रचना है तथा सीमंधर स्वामी के समवसरण से लौटने के [२]पश्चात उनके प्रवचनों का सार के रूप में लिखी गई कृति है इसलिए इसका नाम भी प्रवचनसार रखा गया है। यह तीन भागों में विभक्त है: ज्ञानतत्त्व प्रज्ञापन, ज्ञेयतत्त्व प्रज्ञापन और चारित्र चूलिका।
सन्दर्भ
साँचा:टिप्पणीसूची साँचा:जैन ग्रंथ साँचा:आधार
- ↑ http://dli.serc.iisc.ernet.in/handle/2015/341362साँचा:Dead link
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 फ़रवरी 2016.