प्रेमनाथ
साँचा:विकिफ़ाइ साँचा:ज्ञानसन्दूक | label1 = जबलपुर
मध्यप्रदेश
| data1 = प्रेमनाथ मल्होत्रा
साँचा:जन्म तिथि
जबलपुर
मध्यप्रदेश
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| data2 = साँचा:मृत्यु तिथि एवं आयु
मुंबई, भारत
| label3 = मौत की वजह
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| label4 = शरीर मिला
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| label13 = पेशा
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| data13 = अभिनेता, निर्देशक
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| data14 = १९४८ से १९८५ तक
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प्रेमनाथ (जन्म: 21 नवंबर, 1926 निधन: 3 नवंबर, 1992) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। जबलपुर में आज भी इनकी याद दिलाती है अंपायर सिनेमा आज भी मौजूद है
फिल्मी सफर
== व्यक्तिगत जीवन ==प्रेमनाथ जी जबलपुर मध्यप्रदेश में भी रहे थे।...... ये है अपना जबलपुर टिकिट चेकर के झापड़ ने प्रेमनाथ को बना दिया था एम्पायर टाकीज का मालिक।
अपने दमदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध रहे अभिनेता प्रेमनाथ हमारे टीकमगढ़ के ही गौरव पुत्र थे। उनने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एम्पायर टाकीज को भी खरीद लिया था। इस टाकीज को खरीदने का किस्सा भी लाजवाब है।
प्रेमनाथ जब स्कूल में पढते थे तब एक बार वो एम्पायर टाकीज की दीवाल फांदकर बिना टिकट लिए पिक्चर देखने बैठ गए। जब टिकिट चेकर टिकिट चेक करने आया तो किशोर प्रेमनाथ से टिकिट मांगी तो उनने टिकिट न होने की बात कही और बताया कि वो बाउंड्री वाल फांदकर अंदर आ गए। टिकिट चेकर ने प्रेमनाथ को एक झापड़ मारा और पकडकर बाहर लाया और बोला जैसे तुम दीवार फांदकर आये थे वैसे ही फांदकर बाहर भागो। जाने के पहले किशोर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर से कहा कि देखना एक दिन मैं इस टाकीज को खरीद लूंगा।
प्रेमनाथ जब बडे़ हुए और पिता की मर्जी के खिलाफ अभिनय करने मुंबई चले गए। 1952 में उन्होंने एम्पायर टाकीज खरीद ली। मालिक बनने के बाद जब प्रेमनाथ ने टाकीज का उद्घाटन किया तो जिद्दी प्रेमनाथ का रूप सामने दिखा। प्रेमनाथ उसीतरह से बाउंड्री वाल फांदकर टाकीज के भीतर गये जैसे वो किशोर अवस्था में दीवार फांदकर टाकीज के भीतर गये थे। यह संयोग रहा कि प्रेमनाथ को झापड़ मारने वाला टिकिट चेकर तब भी काम कर रहा था। प्रेमनाथ ने उस टिकिट चेकर को बुलाया। घबराते हुए टिकिट चेकर प्रेमनाथ के सामने आया। लेकिन उस नजारे को देखकर सब लोग दंग रह गए जब प्रेमनाथ उसी कुर्सी पर बैठे जिससे उन्हें टिकिट चेकर ने उठाकर भगाया था।
कुर्सी से उठकर प्रेमनाथ ने झापड़ मारने वाले टिकिट चेकर को बिठाया और फूलमाला पहनाकर उसका स्वागत किया उसे मिठाई भी खिलाई। फिर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर को गले लगाया और उससे बोले यदि तुमने मुझे झापड़ मार कर भगाया न होता तो आज मैं इस एम्पायर टाकीज का मालिक नहीं बनता। ऐसे दिलदार थे हमारे शहर के गौरव प्रेमनाथ अमर प्रेमनाथ।