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प्रोटॉन

भारतपीडिया से
चित्र:Proton quark structure.svg
प्राणु संरचना

प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विद्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1.602E−19 कूलाम्ब का धनावेश होता है। इसका द्रव्यमान 1.6726E−27 किग्रा होता है जो इलेक्ट्रॉन के द्रब्यमान के लगभग 1845 गुना है। प्राणु तीन प्राथमिक कणो दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है।प्रोटोन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की

विवरण

प्राणुफर्मिऑन होते है, जिनकी प्रचक्रण १/२ होती है और यह तीन क्वार्क से मिलकर बने होते है अर्थात यह बेर्यॉन (हेड्रॉन का एक प्रकार) के रूप में होते है। इनके दो अप-क्वार्क एवं एक डाउन-क्वार्क आपस में सशक्त बल (strong force) से जुडे होते है जोग्लुऑन द्वारा लागू होते है। प्राणु और न्यूट्रॉन का जोडा न्युक्लिऑन कहलाता है जो किपरमाणु नाभिक में नाभकीय बल (nuclear force) से आपस में बंधे होते है। उदजन ही एक मात्र ऐसा तत्व है जिसके परमाणु नाभिक में प्राणु अकेला पाया जाता है अन्यथा अन्य सभी परमाणु के नाभिक में प्राणु न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है। उदजन परमाणु के नाभिक में केवल एक प्राणु होता हैन्यूट्रॉन नहीं होता है जबकि इसके दो भारी समस्थानिक ड्यूटेरियम में एक प्राणु व एक न्यूट्रॉन एवं ट्रिटियम में एक प्राणु व दो न्यूट्रॉन होते है।

स्थायित्व

प्राणु, इलेक्ट्रॉन (ऋणात्मक बीटा-क्षय) का अवशोषण कर न्यूट्रॉन में बदल जाता है।

p+ + e- → no + ve

जहॉ p प्राणु, e इलेक्ट्रॉन, n न्यूट्रॉन और ve इलेक्ट्रॉन न्यूट्रीनो है।

इसके विपरित न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन (ऋणात्मक बीटा क्षय) का उत्सर्जन कर प्राणु में बदल जाता है।

no → p+ + e- + ve-

प्राणु की अर्ध-आयु बहुत लम्बी होती है (आज के ब्रह्माण्ड की आयु से भी अधिक)

इतिहास

प्रोटोन ग्रीक शब्द प्रोटोस protos से हुआ है जिसका अर्थ होता है। "प्रथम्"। १९२० में रदरफोर्ड ने इसका नामकरण किया। साँचा:कण