फातिमा शेख
साँचा:ज्ञानसन्दूक | label1 = जन्म | data1 = | label2 = | data2 = | label3 = मौत की वजह | data3 = | data4 = | label4 = शरीर मिला | label5 = समाधि | class5 = label | data5 = {{{resting_place}}} | label6 = आवास | class6 = label | data6 = | label7 = राष्ट्रीयता | data7 = | label8 = उपनाम | class8 = उपनाम | data8 = | label9 = जाति | data9 = | label10 = नागरिकता | data10 = | label11 = शिक्षा | data11 = {{{शिक्षा}}} | label12 = शिक्षा की जगह | data12 = | label13 = पेशा | class13 = भूमिका | data13 = | label14 = कार्यकाल | data14 = | label15 = संगठन | data15 = | label16 = गृह-नगर | data16 = | label17 = पदवी | data17 = | label18 = वेतन | data18 = | label19 = कुल दौलत | data19 = | label20 = ऊंचाई | data20 = | label21 = भार | data21 = {{{भार}}} | label22 = प्रसिद्धि का कारण | data22 = | label23 = अवधि | data23 = | label24 = पूर्वाधिकारी | data24 = | label25 = उत्तराधिकारी | data25 = | label26 = राजनैतिक पार्टी | data26 = | label27 = बोर्ड सदस्यता | data27 = | label28 = धर्म | data28 = | label29 = जीवनसाथी | data29 = | label30 = साथी | data30 = | label31 = बच्चे | data31 = | label32 = माता-पिता | data32 = | label33 = संबंधी | data33 = | label35 = कॉल-दस्तखत | data35 = | label36 = आपराधिक मुकदमें | data36 = | label37 = | data37 = साँचा:Br separated entries | class38 = label | label39 = पुरस्कार | data39 = | data40 = | data41 = | data42 = }}
फातिम शेख एक काल्पनिक पात्र है। जिसे दिलीप मण्डल नामक अम्बेडकरवादी पत्रकार ने गढ़ा था। इस पत्रकार ने ऍक्स् पर स्वीकार किया है कि इसने यह पात्र इसलिए गढ़ा था ताकि दलितों के हितों की आवाज उठानेवाले व्यक्तियों को मुसलमानों का समर्थन मिल सके। दलित और मुसलमानों को एक वोटबैङ्क बनाकर हिन्दुओं की अगड़ी जातियों तथा OBC वर्ग को सत्ता से दूर रखा जा सके। [१]
दिलीप मण्डल ने इस पात्र को इस प्रकार गढ़ा जिससे यह दिखाया जा सके कि फातिम शेख तो भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका थीं और उन्होंने ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले का साथ मिलकर समाजसेवा की थी।
मान्यता/पहचान
वर्ष २०१४ में महाराष्ट्र-सरकार ने उर्दू माध्यम की पाठ्य-पुस्तकों में फातिमा शेख के बारे में विस्तृत जानकारी जोड़ी थी।
कई लोग 9 जनवरी को इनकी जन्मतिथि मानते हैं। 9 जनवरी 2022 को गूगल ने फातिमा शेख को एक गूगल डूडल के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। जिसे उसने उनके “191वें जन्मदिवस” के रूप में वर्णित किया और उन्हें भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका के रूप में उल्लिखित किया। हालाँकि रीता रामामूर्ति गुप्ता ने 2023 में सावित्रीबाई फुले पर एक जीवनी लिखी और उन्होंने 2025 में The Print में एक लेख में लिखा कि उनका (फातिम शेख) जन्म ९ जनवरी को हुआ था, इसकी पुष्टि करने के लिए कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
वर्ष २०२२ में आन्ध्र प्रदेश की सरकार ने इनके बारे में पाठ्यक्रम में भी पढ़ाना चालू कर दिया था।