भाई मणी सिंह

भारतपीडिया से
आदरणीय जत्थेदार
भाई मणि सिंह
चित्र:Execution of Bhai Mani Singh.jpg

अकाल तख्त के द्वितीय जथेदार
पद बहाल
1721–1737
पूर्वा धिकारी भाई गुरदास
उत्तरा धिकारी दरबार सिंह

जन्म साँचा:Br separated entries
मृत्यु साँचा:Br separated entries
जन्म का नाम मनि राम
जीवन संगी Seeto Kaur
बच्चे चितर सिंह
भाई बचित्तर सिंह
उदय सिंह
अनेक सिंह
अजब सिंह
धर्म सिख धर्म

भाई मणी सिंह (भाई मनी सिंघ ; 10 मार्च 1644 – 24 जून 1734) १८वीं शताब्दी के सिख विद्वान तथा शहीद थे। जब उन्होने इस्लाम स्वीकार करने से मना कर दिया तो मुगल शासक ने उनके शरीर के सभी जोड़ों से काट-काट कर उनकी हत्या का आदेश दिया।

भाई मणि सिंह के बचपन का नाम 'मणि राम' था। उनका जन्म अलीपुर उत्तरी में एक राजपूत परिवार मे हुआ था जो सम्प्रति पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले में है। उनके पिता का नाम माई दास तथा माता का नाम मधरी बाई था। वे गुरु गोबिन्द सिंह के बचपन के साथी थे। १६९९ में जब गुरुजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी तब 'सिख' धर्म निभाने की प्रतिज्ञा ली थी। इसके तुरन्त बाद गुरुजी ने उन्हें अमृतसर जाकर हरमंदिर साहब की व्यवस्था देखने के लिये नियुक्त कर दिया।

इतिहास पढ़ने से पता चलता है कि भाई मणी सिंह के परिवार को गुरुघर से कितना प्यार और लगावा था। भाई मणी सिंह के 12 भाई हुए जिनमें 12 के 12 की शहीदी हुई, 9 पुत्र हुए 9 के 9 पुत्र शहीद। इन्हीं पुत्रों में से एक पुत्र थे भाई बचित्र सिंह जिन्होंने नागणी बरछे से हाथी का मुकाबला किया था। दूसरा पुत्र उदय सिंह जो केसरी चंद का सिर काट कर लाया था। 14 पौत्र भी शहीद, भाई मनी सिंह जी के 13 भतीजे शहीद और 9 चाचा शहीद जिन्होंने छठे पातशाह की पुत्री बीबी वीरो जी की शादी के समय जब फौजों ने हमला कर दिया तो लोहगढ़ के स्थान पर जिस सिक्ख ने शाही काजी का मुकाबला करके मौत के घाट उतारा वो कौन था, वे मनी सिंह जी के दादा जी थे। दादा के 5 भाई भी थे जिन्होंने ने भी शहीदी दी। ससुर लक्खी शाह वणजारा जिसने गुरु तेग बहादुर जी के धड़ का अंतिम संस्कार अपने घर को आग लगा कर किया वे भी शहीद हुए। [१]

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

  1. "भाई मनी सिंह जी की शहीदी". मूल से 10 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मई 2019.