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मोईनुद्दीन अहमद क़ुरैशी

भारतपीडिया से

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मोइनुद्दीन अहमद क़ुरैशी या केवल मोईन क़ुरैशी, एक पाकिस्तानी अर्थशास्त्रीजनसेवक थे, जिन्होंने जुलाई १९९३ से अक्टूबर १९९३ तक, पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री का पदभार संभाल था। इसके अलावा क़ुरैशी जी ने विश्व बैंक में भी वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पदभार संभाल था।[१]

जीवनी

प्राथमिक जीवन

मोईनुद्दीन अहमद क़ुरैशी का जन्म 26 जून सन 1930 में पाकिस्तान के लाहोर में ब्रिटिश राज के दौरान हुआ। उनके पिता मोह्येद्दीन अहमद क़ुरैशी, जनसेवक थे और उनकी माता खुर्शीद जबीं, गृहिणी थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर के इस्लामिया कॉलेज से की जहाँ उन्होंने अर्थशानस्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और स्नातकोत्तर उपाधि पंजाब यूनिवर्सिटी से। उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री सन १९५५ में ब्लूमिंहटों के इंडिआना यूनिवर्सिटी से प्राप्त की।

व्यावसायिक जीवन व राजनीति में प्रवेश

१९५५ में जब वे पाकिस्तान वापिस लौटे तो वे पाकिस्तान की जान सेवा में लग गए। उनकी पहली नियुक्ति योजना आयोग में हुई। सन १९५६ में उन्होंने योजना आयोग से इस्तीफा दे दिया और वे अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल होने के लिए अमेरिका चले गए। सन १९६० में उन्होंने ने घाना में आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। उसके बाद उन्हीने सन १९७४ से १९७७ तक कार्यकारी अद्यक्ष के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम में भी कार्य किया।[२]

सन १९८१ में उन्हें रोबर्ट मक्नॉर्म, जो की विश्व बैंक के तब के अद्यक्ष थे, द्वारा वित्त के वरिष्ठ उपाध्याय बनने का निमंत्रण मिला, जहाँ वे सन १९८७ तक कार्यवृत रहे। सन १९९१-९२ के दौरान उन्होंने विश्व बैंक छोड़ दिया और अमेरिका में ही खुद का एक प्राइवेट हेज फण्ड का गठन किया।

सन १९९३ के दौरान एक समझौते पर पाकिस्तानी सेना के मध्यस्थता के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एवं राष्ट्रपति गुलाम इश्क़ खान ने अपने सम्बंधित पदों से इस्तीफा दे दिया। यह संकल्प अद्वितीय था क्योंकि एक निर्वाचित सरकार ने स्वेछा से आदेश संभावित सैन्य हस्तक्षेप से बचने के लिए नीचे कदम रखा था और इस्तीफा एक संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से आया।

अंतरिम प्रधानमंत्रित्व

आर्मी चीफ ऑफ़ स्टाफ, जनरल अब्दुल वाहिद कक्कड़ और स्टाफ समिति की संयुक्त कमान के अद्यक्ष, जनरल शमीम अलम, समझौते के कार्यवाह के गवाह के रूप में प्रस्तुत थे जहाँ सीनेट के अद्यक्ष वसीम सज्जाद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला।

इस बीच कुरैशी ने १९९३ में सिंगापुर का दौरा किया जहाँ उन्हें राष्ट्रपति गुलाम इशाक का टेलीफोन कॉल आया जहाँ उन्हें टेक्नोक्रेटिक सरकार बनाने का प्रस्ताव मिला, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया और इस्लामाबाद लौट गए। उनकी नियुक्ति के समय कुरैशी बड़े पैमाने पर सार्वजानिक और राजनितिक हलकों से अंजान थे और यह महसूस हुआ की एक राजनितिक, बाहरी व्यक्ति होने के नाते तथास्ट रहेगा।

वे तीन माह तक कार्यालय में थे। उस दौरान उनके द्वारा कई सुधार किये गए जो की आईएमएफ स्टैंडबाई सरकार द्वारा समर्थित किया गया। उन्होंने करदाताओं की सूचि प्रकाशन करने का आदेश दिया जिससे पता चला की देश में छोटा कर -आधार है और कुछ ही लोग करों का भुगतान करते हैं।[३]

सन १९९३ में पाकिस्तान ने बेनज़ीर भुट्टो के नेतृत्व में पीपल पार्टी की वापसी देखी।

निधन

सन २०१४ में कुरैशी पार्किन्सन रोग से पीड़ित पाये गए। नवम्बर २३, २०१६ को अमेरिका के वाशिंगटन में उनका निधन हो गया।[४]

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

  1. "Former caretaker PM Moeenuddin Qureshi passes away in Washington – The Express Tribune". The Express Tribune (English में). 2016-11-23. मूल से 2 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-11-23.
  2. साँचा:Cite web
  3. साँचा:Cite web
  4. Web Desk (23 November 2016). "Former caretaker PM Moeenuddin Qureshi passes away". ARYNEWS. ARY News, US Bureau chief. ARY News. मूल से 27 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 November 2016.