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जब कोई दो ग्रह आपस में 1 डिग्री के भीतर हों तो उन्हें युद्धरत कहा जाता है।
सूर्य तथा चन्द्र के अतिरिक्त यह नियम सभी ग्रहों पर लागू होता है। इस युद्ध में वही ग्रह विजयी होता है।
जो भोंगाश में कम अंश का होता है। युद्ध बल की गणना करने के लिये सबसे पहले जो ग्रह युद्ध में शामिळ है। उन ग्रहों का स्थान बल, दिगबल और काल बल निकाल कर योग किया जाता है। उसके बाद युद्ध बल के अन्य नियम लगाये जाते है। साँचा:वैदिक साहित्य