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लैमार्क

भारतपीडिया से
जीन बैप्टिस्ट डी लामार्क

लैमार्क या जीन बैप्टिस्ट पियेर आंत्वान द मॉनेट शीवेलियर द (Lamark, Jean Baptiste Pierre Antoine De Monet Chevalier De; 1744 से 1829 ई.) फ्रांसीसी जैवविज्ञानी थे। लामार्क प्रथम वैज्ञानिक थे, जिन्होंने कशेरुकी और अकशेरुकी जीवों में भेद किया और सर्वप्रथम इनवर्टीब्रेट (invertebrate) शब्द का उपयोग किया। 1802 ई. में इन्होंने जीव, या पौधों के अध्ययन के लिए बायोलोजी (Biologie) शब्द का उपयोग किया। इन्होंने मौसम विज्ञान और मौसम की पूर्वसूचनाओं से संबंधित वार्षिक रिपोर्टों का भी प्रकाशन किया था। ये विकासवाद के जन्मदाता हैं। इनका विकासवाद का सिद्धांत लामार्कवाद कहलाता है।

जीवनी

का जन्म 12 अगस्त 1744 को बैजेंटाइन के पिकार्डी में हुआ था। 17 वर्ष की आयु में ये सेना में भर्ती हो गए और सन् 1763 में सैनिक जीवन त्याग कर पैरिस चले गए, जहाँ इन्होंने वनस्पतिशास्त्र का अध्ययन किया। 1778 ई इनकी फ्लोर फ्रैंशाइज (Flore Francasie) नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। इसके दूसरे वर्ष एकेडेमी सायंस के वनस्पति विभाग में इनकी नियुक्ति हो गई, पर ये इसे छोड़कर समकालीन, फ्रांसीसी, प्राकृतिक विज्ञानी, बुफॉन् के पुत्रों के साथ यात्रा पर प्रशिक्षक के रूप में चले गए। यात्रा से दो वर्ष बाद लौटने पर ये शाही बाग के वनस्पति संग्रहालय के रक्षक नियुक्त हुए। 1793 ई. में ये अजायबघर में प्रोफेसर नियुक्त हुए और अकशेरुकी संग्रह का उत्तरदायित्व लिया। यहाँ इन्होंने 1819 ई. तक, अपने अंधे होने तक, कार्य किया। इनका बुढ़ापा बड़ी गरीबी में बीता। 18 दिसम्बर 1829 ई. को इनका देहावसान हो गया।

लामार्कवाद

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