लोकोक्ति
साँचा:ज्ञानसन्दूक | label1 = जन्म | data1 = | label2 = | data2 = | label3 = मौत की वजह | data3 = | data4 = | label4 = शरीर मिला | label5 = समाधि | class5 = label | data5 = {{{resting_place}}} | label6 = आवास | class6 = label | data6 = | label7 = राष्ट्रीयता | data7 = | label8 = उपनाम | class8 = उपनाम | data8 = | label9 = जाति | data9 = | label10 = नागरिकता | data10 = | label11 = शिक्षा | data11 = {{{शिक्षा}}} | label12 = शिक्षा की जगह | data12 = | label13 = पेशा | class13 = भूमिका | data13 = | label14 = कार्यकाल | data14 = | label15 = संगठन | data15 = | label16 = गृह-नगर | data16 = | label17 = पदवी | data17 = | label18 = वेतन | data18 = | label19 = कुल दौलत | data19 = | label20 = ऊंचाई | data20 = | label21 = भार | data21 = {{{भार}}} | label22 = प्रसिद्धि का कारण | data22 = | label23 = अवधि | data23 = | label24 = पूर्वाधिकारी | data24 = | label25 = उत्तराधिकारी | data25 = | label26 = राजनैतिक पार्टी | data26 = | label27 = बोर्ड सदस्यता | data27 = | label28 = धर्म | data28 = | label29 = जीवनसाथी | data29 = | label30 = साथी | data30 = | label31 = बच्चे | data31 = | label32 = माता-पिता | data32 = | label33 = संबंधी | data33 = | label35 = कॉल-दस्तखत | data35 = | label36 = आपराधिक मुकदमें | data36 = | label37 = | data37 = साँचा:Br separated entries | class38 = label | label39 = पुरस्कार | data39 = | data40 = | data41 = | data42 = }}
बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते।
लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं।
कुछ उदाहरण मुहावरों के है
- नौ दो ग्यारह होना—रफूचक्कर होना या भाग जाना[१]
- असमंजस में पड़ना—दुविधा में पड़ना
- आँखों का तारा बनना—अधिक प्रिय बनना
- आसमान को छूना—अधिक प्रगति कर लेना
- किस्मत का मारा होना—भाग्यहीन होना
- गर्व से सीना फूल जाना—अभिमान होना
- गले लगाना—स्नेह दिखाना
- चैन की साँस लेना—निश्चिन्त हो जाना
- जबान घिस जाना—कहते कहते थक जाना
- टस से मस न होना—निश्चय पर अटल रहना
- तहस नहस हो जाना—बर्बाद हो जाना
- ताज्जुब होना—आश्चर्य होना
- दिल बहलाना—मनोरंजन करना
- भागते भूत की लंगोटी भली
वाक्य में प्रयोग
लोकोक्ति का वाक्य में ज्यों का त्यों उपयोग होता है। मुहावरे का उपयोग क्रिया के अनुसार बदल जाता है लेकिन लोकोक्ति का प्रयोग करते समय इसे बिना बदलाव के रखा जाता है। कभी-कभी काल के अनुसार परिवर्तन सम्भव है।
- अंधा पीसे कुत्ते खायें -
- प्रयोग: पालिका की किराये पर संचालित दुकानों में डीएम को अंधा पीसे कुत्ते खायें की हालत देखने को मिली।[२]
टिप्पणी
भागते भूत की लंगोटी भली
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- हिन्दी लोकोक्तियों का संग्रह
- हिंदी मुहावरे और लोकोक्ति कोश (गूगल पुस्तक ; डॉ बदरीनाथ कपूर)
- ↑ दुर्जय (16 दिसम्बर2013). "नौ दो ग्यारह का मतलब रफूचक्कर होना या भाग जाना ही क्यों होता है?". नवभारत टाइम्स. मूल से 13 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2013.
|date=में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "पालिका में रिकार्डग का रखरखाव बदहाल". दैनिक जागरण समाचार पत्र. 18 दिसम्बर 2011. मूल से 12 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मई 2013.