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वरुण, नॅप्टयून या नॅप्चयून हमारे सौर मण्डल में सूर्य से आठवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है। वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से १७ गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। खगोलीय इकाई के हिसाब से वरुण की कक्षा सूरज से ३०.१ ख॰ई॰ की औसत दूरी पर है, यानि वरुण पृथ्वी के मुक़ाबले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है। वरुण को सूरज की एक पूरी परिक्रमा करने में १६४.७९ वर्ष लगते हैं, यानि एक वरुण वर्ष १६४.७९ पृथ्वी वर्षों के बराबर है।
हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। वरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और अरुण (युरेनस) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं।
खोज और नामकरण
वरुण पहला ग्रह था जिसकी अस्तित्व की भविष्यवाणी उसे बिना कभी देखे ही गणित के अध्ययन से की गयी थी और जिसे फिर उस आधार पर खोजा गया। यह तब हुआ जब अरुण की परिक्रमा में कुछ अजीब गड़बड़ी पायी गयी जिनका अर्थ केवल यही हो सकता था के एक अज्ञात पड़ौसी ग्रह उसपर अपना गुरुत्वाकर्षक प्रभाव डाल रहा है। खगोल में खोजबीन करने के बाद यह अज्ञात ग्रह २३ सितम्बर १८४६ को पहली दफ़ा दूरबीन से देखा गया और इसका नाम "नॅप्टयून" रख दिया गया।[१] "नॅप्टयून" प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे, जो स्थान प्राचीन भारत में "वरुण" देवता का रहा है, इसलिए इस ग्रह को हिन्दी में वरुण कहा जाता है। रोमन धर्म में नॅप्टयून के हाथ में त्रिशूल होता था इसलिए वरुण का खगोलशास्त्रिय चिन्ह ♆ है।
रंग-रूप और मौसम
जहाँ अरुण ग्रह सिर्फ एक गोले का रूप दिखता है जिसपर कोई निशान या धब्बे नहीं हैं, वहाँ वरुण पर बादल, तूफ़ान और मौसम का बदलाव साफ़ नज़र आता है। माना जाता है के वरुण पर तूफ़ानी हवा सौर मण्डल के किसी भी ग्रह से ज़्यादा तेज़ चलती है और २,१०० किमी प्रति घंटा तक की गतियाँ देखी जा चुकी हैं। जब १९८९ में वॉयेजर द्वितीय यान वरुण के पास से गुज़रा तो वरुण पर एक "बड़ा गाढ़ा धब्बा" नज़र आ रहा था, जिसकी तुलना बृहस्पति के "बड़े लाल धब्बे" से की गयी है। क्योंकि वरुण सूरज से इतना दूर है, इसलिए उसका ऊपरी वायुमंडल बहुत ही ठंडा है और वहाँ का तापमान -१२८ °सेंटीग्रेड (५५ कैल्विन) तक गिर सकता है। इसके बड़े अकार की वजह से इस ग्रह के केंद्र में इसके गुरुत्वाकर्षण के भयंकर दबाव से तापमान ५,००० °सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। वरुण के इर्द-गिर्द कुछ छितरे-से उपग्रही छल्ले भी हैं जिन्हें वॉयेजर द्वितीय ने देखा था। वरुण का हल्का नीला रंग अपने ऊपरी वातावरण में मौजूद मीथेन गैस से आता है।
परिक्रमा एवं घूर्णन
नेप्च्यून एवं सूर्य के बीच की औसत दूरी 4.50 अरब किमी (लगभग 30.1 एयू) है, एवं यह औसतन हर 164.79 ± 0.1 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है।
11 जुलाई 2011 को नेप्च्यून ने 1846 में इसकी खोज के बाद से अपनी पहली द्रव्यकेंद्रीयEn परिक्रमा पूरी की, हालांकि यह हमारे आसमान में अपनी सटीक खोज स्थिति में नहीं दिखा था, क्योंकि पृथ्वी अपनी 365.25 दिवसीय परिक्रमा में एक भिन्न स्थान में थी। Because of the motion of the Sun in relation to the barycentre of the Solar System, on 11 जुलाई Neptune was also not at its exact discovery position in relation to the Sun; if the more common heliocentric coordinate system is used, the discovery longitude was reached on 12 जुलाई 2011.[२][३][४]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ साँचा:Cite web (Bill Folkner at JPL) साँचा:Webarchive
- ↑ साँचा:Cite web—Numbers generated using the Solar System Dynamics Group, Horizons On-Line Ephemeris System.