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विधिक पृथकन

भारतपीडिया से

विधिक पृथकन (Legal separation या judicial separation) एक विधिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई विवाहित युग्म (married couple) विधिक रूप से विवाहित रहते हुए भी वास्तव में पृथक होकर रह सकता है। इसे विधिक पृथक्करण या न्यायिक पृथकन भी कहते हैं। यह किसी न्यायालय के आदेश के रूप में होता है।

मुख्य तय किए जाने वाले मुद्दे

विधिक पृथकन में न्यायालय द्वारा निम्न लिखित मुद्दों को तय किया जाता है:

  • सन्तान की देखरेख
  • सन्तान से मिलना
  • संपत्ति का बटवारा[१]

परीक्षण पृथकन

परीक्षण पृथकन एक ऐसे समय को कहा जाता है जब पति-पत्नी एक दूसरे से अलग रहते हैं और इस बात का निर्णय लेते हैं कि विवाह को जारी रखें या तलाक लें। परीक्षण पृथकन का विधि में कोई वास्तविक प्रभाव नहीं होता क्योंकि जहाँ विधिक पृथकन के विपरीत जिसमें न्यायालय हस्तक्षेप करते हुए सम्पत्ति बटवारे और अन्य दायित्वों को तय करता है, यहाँ केवल दो परिवार सदस्य एक-दूसरे के साथ रहने या अलग होने को तय करते हैं।[१]

अलग रहना

आधुनिक काल में कभी-कभी पति और पत्नी कार्य या किसी विशेष कारण से एक दूसरे से महीनों या कभी-कभी वर्षों अलग रहते हैं। इस प्रकार से अलग रहना विधिक पृथकन या परीक्षण पृथकन की श्रेणी में नहीं आता।[१]

सन्दर्भ