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सुमिता मिश्रा (जन्म: ३० जनवरी, १९६७; चंडीगढ, हरियाणा) एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, साहित्यकार एवं प्रसिद्द कवयित्री हैं। [१][२] इनकी तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
मिश्रा का जन्म ३० जनवरी, 1966 को डॉ .एन.सी मिश्रा और डॉ. (श्रीमती) पी.के मिश्रा के घर लखनऊ में हुआ। उन्होंने लखनऊ में लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और लखनऊ में ही स्थित ला मार्टिनियर से अपनी आईएससी की शिक्षा पूरी की और उन्होंने बीए अर्थशास्त्र, गणित और सांख्यिकी में स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लखनऊ विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। वे राजकीय कैंडी स्कूल हॉवर्ड विश्वविद्यालय, यू.एस.ए. की पूर्व छात्रा है। उन्होंने इस विश्वविद्यालय से लीडरशिप और पब्लिक पालिसी पर कोर्स पूरा किया। उन्होंने रॉयल प्रशासन संस्थान लंदन से प्रबंधन के सीनियर कोर्सो में भी भाग लिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आई.आई.एम. अहमदाबाद और आई.आई.एम बंगलुरु से कोर्स किया। स्कूल व कॉलेजके दिनों के दौरान उनकी वाद-विवाद या क्विज प्रतियोगिताओं में भाग लेने में गहरी रुची रही है।
प्रशानिक करियर
बाद में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में ज्वाईन किया और वे वर्ष १९९० से हरियाणा सरकार में विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर प्रशासक रही है।[३] उन्हें एसडीएम, डीसी, प्रशासक हुडा के रूप में और सिंचाई, कृषि, परिवहन, पर्यटन, महिला एवं बाल कल्याण, अक्षय ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में व मुख्यमंत्री के कार्यालय में लोक प्रशासन का २६ वर्षों का अनुभव है।
वर्ष २००५ में आपदा तत्परता पर कॉन्फ्रेंस में की गई उनकी टिप्पणी को ‘दी हॉवर्ड गजट’ में वर्णित किया गया है। उनकी संरक्षण व सहायता के अन्तर्गत हरियाणा ने लगातार तीन वर्षों तक ऊर्जा संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया। अक्षय ऊर्जा निदेषक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान वर्ष २००७ में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए हरियाणा को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल से राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उनकी सहायता और नेतृत्व में सभी राज्यों में से हरियाणा ने तीन वर्ष लगातार ऊर्जा संरक्षण के राष्ट्रीय पुरस्कार जीते है, जो एक रिकॉर्ड है।
वर्ष २०१४ में परिवहन आयुक्त के रूप में उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित यातायात में सुधार लाने का कार्य किया।[४] इसी वर्ष में, उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी की अतिरिक्त प्रधान सचिव नियुक्त किया गया, परन्तु वर्ष २०१५ में वे इस प्रतिष्ठित पद पर मात्र पांच महीने रहीं। वे इस समय पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव है। हरियाणा में सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी आईसीटी दिल्ली का प्रयोग करके ऑनलाइन कमरा बुकिंग प्रणाली शुरू करने के लिए उन्होंने ‘स्कोच स्मार्ट शासन’ पुरस्कार भी प्राप्त किया।[५] रैड क्रॉस और बाल कल्याण गतिविधियों के लिए उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु हरियाणा राज्य स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उनके नेतृत्व में हरियाणा पर्यटन विभाग को आॅनलाइन बुकिंग पोर्टल के लिए सम्मानित किया गया और वल्र्ड टूरिजम एंड ट्रेड काउंसिल इंडिया इंनीषियेटिव-एचवीएस स्टेट रेकिंग सर्वे से ‘डेस्टीनेषन स्टेवार्डषीप अवार्ड-२०१५’ प्राप्त किया। वह एमएनआरई और टेरी के संरक्षण में चिरस्थायी निवास के विकास और अनुसंधान की आदर्ष एसोसिएषन के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
वे सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला की मुख्य संस्थापक है। उन्होंने वर्ष २०१३, २०१४ व २०१५ में क्रमषः २८वें, २९वें तथा ३०वें सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले का सफलतापूर्वक आयोजन किया।[६] ३०वां सूरजकुण्ड मेला अब तक का सबसे बड़ा मेला था, जिसमें २३ से अधिक देषों ने इस मेले में प्रतिभागिता की और इस मेले में १२ लाख आगन्तुकों ने भाग लिया। इस संगठन के एक हिस्से के रूप में उन्होंने फार्म टूरिजम और क्राफ्ट मेले में अन्र्तराष्ट्रीय सहभागिता को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया।[७][८][९] उन्होंने सामाजिक मीडिया के साथ मेले के रूप को बदल दिया। उनकी अभिरुचि में यात्रा, पर्यावरण संरक्षण, लिंग अध्ययन और फोटोग्राफी शामिल है।
साहित्यिक योगदान
सुमीता मिश्रा की पहली साहित्यक कृति ‘ए लाइफ ऑफ लाईट’ नामक शीर्षक से ४५ कविताओं का संग्रह है, जिसका वर्ष २०१२ में प्रकाषन व विमोचन किया गया।[१०][११][१२][१३] खुशवंत सिंह द्वारा इसे प्राक्कथन दिया गया। यह हिन्दी काव्य पुस्तक ‘कदमों की लय’का अनुसंरण है। उनकी तीसरी साहित्यिक कृति में हिन्दी व उर्दू दोनों भाषाओं के समीश्रण के साथ ७५ कविताएं शामिल हैं जो वर्ष २०१३ में ‘जरा सी धूप’ नामक शीर्षक से जारी की गई। पाठकों द्वारा इस पुरस्तक की इतनी अधिक प्रशंसा की गई कि इस पुस्तक का पहली ही तीसरी बार मुद्रण हुआ है। प्रसिद्ध कवि अशोक वाजपेयी ने उनकी तीसरी पुस्तक के शुभारम्भ पर उनके लेखन की प्रशंसा की है। वह चण्डीगढ़ साहित्यिक सोसायटी की संस्थापक और अध्यक्ष भी है। [१४][१५]