हिंदू साहित्य

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हिंदू धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है। इस धर्म ने विश्व को ज्ञान का अनमोल प्रकाश दिया है। इसी प्रकाश का मुख्य स्रोत है हिंदू साहित्य। हिंदू साहित्य बहुत ही गहरा विषय है। इसमें असंख्य ग्रंथ आते हैं। मुख्यतः हिंदू साहित्य आर्ष और अनार्ष की श्रेणी में विभाजित है। इसके अतिरिक्त हिंदू धर्म में वैज्ञानिक साहित्य भी है।

आर्ष

आर्ष का अर्थ वो होता है जिसकी रचना ऋषियों ने की है। वैदिक काल में ऋषियों ने कई ग्रंथों की रचना की थी। पहले तो वे गुरु से शिष्य tak मौखिक रूप में जाते थे और बाद में उसका लेखन हुआ था।

वेद

वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द ‘विंद्’ से हुई है जिसका अर्थ ज्ञान होता है। ज्ञान जिस पुस्तक में हो उसे वेद कहते है। इसके कई रचनाकार हैं। इसके कई भाष्यकार भी हैं जैसे- चार्वाक, सायण, दयानंद सरस्वती, मैक्स मूलर आदि किंतु इनमे से सबसे अच्छा भाष्य दयानंद सरस्वती का था बाक़ी सब ने इसका अनुचित अनुवाद किया था। मुख्यतः चार वेद हैं- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद

उपवेद

वेदों के साथ उपवेद भी आते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार चार उपवेद हैं- अथर्ववेद, गंधर्ववेद, धनुर्वेद और आयुर्वेद किंतु कुछ मान्यता अथर्ववेद की जगह शिल्पवेद को स्थान देते हैं।

वेदांग

वेदों को पढ़ने हेतु व्यक्ति को वेदांग पढ़ने की आवश्यकता है। ६ वेदंड हैं- शिक्षा, छन्द, व्याकरण, निरुक्त, कल्प और ज्योतिष।

उपनिषद्

उपनिषदों को वेदों का अन्तिम भाग भी कहते हैं। उपनिषद का अर्थ पास में बैठना होता है। उपनिषद अर्थात गुरु के पास बैठना और ज्ञान अर्जित करना। उपनिषदों की संख्या १०८ कही जाती है और इनकी रचना अलग अलग समय में हुई थी। किंतु इनमे से कुछ मुख्य उपनिषद हैं। सब में से एक मुख्य उपनिषद है श्रीमद्भगवद्गीता है। मुख्य उपनिषद हैं- इशोपनिषद, केनोपनिषद, बृहदरण्यकोपनिषद, ऐतरेयोपनिषद, छान्दोग्योपनिषद, कठोपनिषद, तैत्तिरीयोपनिषद, मांडूक्योपनिषद, मुण्डकोपनिषद, प्रश्नोपनिषद आदि।

दर्शन

दर्शन का अर्थ देखना होता है। किसी भी चीज़ को देखने का हमारा नज़रिया दर्शन होता है। भारत में कुल ६ दर्शन हैं- महर्षि कपिल का सांख्य दर्शन, महर्षि पतंजलि का योग दर्शन, गौतम ऋषि का न्याय दर्शन, कणाद का वैशेषिक दर्शन, जैमिनि का पूर्व मीमांसा और शंकराचार्य का पूर्व मीमांसा

ब्राह्मण ग्रंथ

ब्राह्मण ग्रंथ वेदों की व्याख्या हैं। मुख्य ब्राह्मण हैं ऐतरेय, कौषीतकी, शांखायन, शतपथ, तैत्तिरीय, मैत्रायणी, पंचविंश, शड्विंश, सामविधान, आर्षेय, दैवत, संहितोपनिषद, वंश, जैमिनीय, गोपथ आदि।

आरण्यक

आरण्यक शब्द की उत्पत्ति अरण्य से है। अरण्य अर्थात वन होता है। आरण्यक उन लोगों के लिए होता है जो कि वानप्रस्थि होते हैं। ऐतरेयारण्यक, कौषीतकी, तैत्तिरीय, मैत्रायणीय, कठ, बृहदरण्यक, तवलकार, आरण्यक, संहिता आदि।

इतिहास

इतिहास अर्थात अतीत। अतीत में घटी घटनाओं का लेखा जोखा ही इतिहास है। वैदिक काल में घटी दो सबसे बड़ी घटनाओं को महाकाव्य वाल्मीकि रामायण और महाभारत में लिखा है।

अन्य

मनुस्मृति, सत्यार्थ प्रकाश, अष्टाध्यायी आदि।

अनार्ष

अवैदिक काल काल में रचित कपोल कल्पित, झूठी, पाखण्डी और द्रोही पुस्तकें अनार्ष कहलाती हैं जैसे-रुक्मणीमंगल, सायण भाष्य, कातंत्र, सारस्वत, मुगद्बोध, कौमुदि, शेखर, मनोरमा, अमरकोष, वृत्तरत्नाकर, रघुवंश आदि।