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होन्गासान्द्रा वेण्कटरमइया शेषाद्री (अंग्रेजी: Hongasandra Venkataramaiah Sheshadri, कन्नड: ಹ. ವ. ಸೇಶದ್ರಿ, जन्म: 1926 - मृत्यु: 2005) एक भारतीय लेखक व समाजसेवी थे। उनका जन्म बंगलौर में हुआ था। बंगलौर विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धान्तों से प्रभावित हुए और अपना पूरा जीवन संघ की विचारधारा के संवर्धन हेतु समर्पित कर दिया।[१]
जीवनी
शेषाद्री जी ने सन् 1946 में वतौर एक प्रचारक के संघ का कार्य कर्नाटक से प्रारम्भ किया। संघ कार्य विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए वे सन् 1987 में इसके सरकार्यवाह बने।[१] उन्हें उनकी कृति तोरबेरालू पर कर्नाटक राज्य साहित्य अकादमी से सन् 1982 में सम्मानित किया गया।[१] उन्होंने 'विक्रम', 'उत्थान', 'आर्गनाइजर' व पाञ्चजन्य सरीखे पत्र-पत्रिकाओं में लेख भी लिखे। उन्होंने सीताराम गोयल व के॰आर॰ मलकानी जैसे दिग्गज लेखकों की आलोचना करके उन्हें 'आर्गनाइजर' सरीखे पत्रों से बाहर का रास्ता दिखा दिया।[२][३] सीताराम गोयल ने उनकी पुस्तक "The Tragic Story of Partition" की सराहना की।[४] बाद में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनके इस कार्य की प्रशंसा की।[५] शेषाद्री जी संघ के वरिष्ठतम और अत्यधिक सम्मानित नेताओं में थे जिन्होंने हजारों स्वयंसेवकों को प्रेरित किया। देश और देशवासियों की सेवा करते हुए उन्होंने सन् 2005 में अन्तिम साँस ली। उनकी अन्त्येष्ठि में भारी संख्या में लोग सम्मिलित हुए।[१]
ग्रन्थ सूची
- युगावतार (शिवाजी पर),
- अम्म बगिलू तेगे (निबन्ध),
- चिन्तन गंगा,
- The Tragic Story of Partition[६]
- भुगीलू (आपातकाल पर).
- तारबेरालू
- A Bunch of thoughts
- RSS : A vision in action