कविताकोश

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कविताकोश हिन्दी कविताओं का एक विकि है। यह अंतर्जाल पर उपलब्ध हिन्दी कविताओं का सबसे विशाल संकलन है।

परियोजना

कविताकोश की स्थापना ५ जुलाई सन २००७ को ललित कुमार नाम के एक हिन्दी प्रेमी ने की थी। इस कोश में वर्तमान में लगभग चौतीस हज़ार कवितायें हैं। विकिपीडिया की तर्ज पर यह भी स्वयंसेवकों के योगदान से चलता है। [१] यहाँ पर उन कविताओं को डाला जाता है जो कॉपीराइट से मुक्त हो चुकी हैं।

इस वर्ष अगस्त का महीना कई कारणों से ‘कविताकोश ’के लिये ऐतिहासिक रहा। यही वह महीना है जब पाँच सालों से इन्टरनेट के माध्यम से हवा में कुलांचे मारते हुये कविताकोश नामक विमान ने जयपुर की धरती पर लैंडिग की। जून 2006 में मात्र 100 कविताओं के साथ इसकी उडान को शुरू करने वाले ललित कुमार के इस ने अब इसे ५०000 से भी अधिक (इन पंक्तियों के लिखे जाने तक ५०२३६) कविताओं का भारी भरकम जम्बो जेट बना डाला है। 2006 में जब इसकी शुरुआत हुयी तो इसके लिये ललित जी ने कविताकोश पुस्तिका में लिखा है-

‘‘मित्रों की मदद से टाइप की हुयी कुछ रचनाएँ ईमेल के जरिये मुझे मिलने लगी थीं लेकिन मैं अकेला इन सब रचनाओं को कोश की वेवसाइट में नहीं जोड पा रहा था। दिन रात काम करके मैने किसी तरह कोश में रचनाओं की संख्या को पाँच सौ के ऊपर पहुँचाया पर तब तक मैने समझ लिया था कि इस तरह यह काम ज्यादा आगे तक नहीं जा पाएगा। रोजगार के कार्यो से निपटने के बाद बचा अपना खाली समय लगा कर भी मैं वेबसाइट को बहुत धीरे धीरे ही आगे बढा पा रहा था।.....हिन्दी सेवा के नाम पर या व्यक्तिगत अभिरूचि के कारण बनने वाले या ब्लाग्स दुर्भाग्य से जोश ठंडा पड़ जाने के कारण जल्द ही थम भी जाते थे। स्थिति यह थी कि इस तरह बहुत से लोग प्रयास क रहे थे लेकिन उनके यह प्रयास एक दूसरे के पूरक बनकर नहीं बल्कि एक दूसरे के प्रतियोगी बनकर खडे हो रहे थे। मेरा मानना था कि यदि ये लोग एक जगह पर, एक दूसरे के साथ और एक सर्वनिष्ठ लक्ष्य बना कर अनुशासित ढंग से काम करें तभी हिन्दी -हितार्थ कोई बड़ा कार्य संभव हो पाएगा।’’

तकनीकी पहलुओ के लिये अपने जन्मदाता ललितकुमार पर पूरी तरह निर्भर कविताकोश की यह परियोजना अनेक सहयोगियों के सामूहिक प्रयास के दौर से गुजरती हुयी अपने उत्साही साथियों के साथ आज ठोस धरातल पर आ खडी हुयी है।

प्रमुख योगदान कर्ताओं की सूची

आज कविता कोश में योगदान कर्ताओं की सूची हजारों में है परन्तु आश्चर्यजनक रूप से इन हजारों लोगों ने इस समूचे कोश के मात्र 10 प्रतिशत (लगभग 5000 पन्ने) के निर्माण में ही सहयोग किया है। समूचे कोश का 90 प्रतिशत (लगभग 42000 पन्ने) बारह प्रमुख योगदान कर्ताओ के श्रम से ही निर्मित हुआ है। उसमें भी मात्र तीन प्रमुख योगदानकर्ताओं का ही योगदान प्रतिशत दहाई का आंकडा पार कर पाया है। कविताकोश के संस्थापक ललितकुमार भी योगदान प्रतिशत के मामले में इकाई के आंकडों में ही सीमित है। यदि कोश शामिल सभी 47237 पन्नों को उनके जोडने वाले योगदान कर्ताओं के श्रम के रूप में देखें तो आंकडे इस प्रकार हैं

क्रमांक नाम योगदान कर्ता जोडे गये पृष्ठों की संख्या कोश की समूची सामग्री के सापेक्ष प्रतिशत अभियुक्ति
अनिल जनविजय 15480 32.77 प्रति॰ अप्रैल 2007में जुड़े
प्रतिष्ठा शर्मा 6605 13.98 प्रति॰ अग0 2007 में जुड़े
घर्मेन्द्र कुमार सिंह 6228 13.18 प्रति॰ सित 2009 में जुड़े
ललित कुमार 2247 4.76 प्रति॰ संस्थापक हैं
अशोक कुमार शुक्ला 2205 4.72 प्रति॰ जन 2011 में जुड़े
नीरज दैया 1722 3.65 प्रति॰ 2007 में जुड़े
दिवजेन्द्र द्विज 1980 4.19 प्रति॰ सित 2008 में जुड़े
प्रकाश बादल 1608 2.40 प्रति॰ दिस 2008 में जुड़े
सम्यक 1124 2.38 प्रति॰ 2007 में जुड़े
१० श्रद्धा जैन 1090 2.31 प्रति॰ फर 2009 में जुड़ी

परियोजना की सचिव हैं।

१० विभा जिलानी 907 2 प्रति॰
११ प्रदीप जिलवाने 728 1.89 प्रति॰

प्रथम कविताकोश सम्मान

कविताकोश के पांच वर्ष पूरे होने पर 7 अगस्त को जयपुर में आयोजित प्रथम कविताकोश सम्मान 2011 में कवियों के अतिरिक्त प्रमुख योगदानकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया था। आभार कविताकोश योगदानकर्तागण्..


कविताकोश योगदानकर्ता सम्मान

इसकी समाप्ति के उपरांत 10 अगस्त 2011 को कविताकोश के संस्थापक द्वारा एक योगदानकर्ता को भेजे गये इमेल का निम्न अंश योगदानकर्ताओं के प्रति उनके नजरिये को प्रदर्शित करता हैः-

‘‘....... मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि समारोह में कविताकोश के योगदानकर्ताओं को उतनी तरजीह नहीं दी गयी जितनी दी जानी चाहिए थी। मेरी नजर में यह समारोह जितना सम्मानित कवियों के लिये था उतना ही कोश के योगदानकर्ताओं के लिये था। कार्यक्रम को जल्दबाजी में निबटाने की कोशिश की गई। हांलांकि कमी योगदानकर्ताओं की ओर से भी रही। बमुश्किल 3.4 योगदानकर्ता ही जयपुर पहुँचे। मेरी उम्मीद थी कि कम से कम 10.15 लोग तो जरूर आऐंगे। लेकिन फिर भी मैं सहमत हूँ कि योगदानकर्ताओं को सस्ते में निबटाया गया। इसका मुझे खेद है।..................फिर भी मैं बहुत असहज महसूस कर रहा हूँ कि किस तरह मै कोश के योगदानकर्ताओं को यह बताउँ कि मेरे मन में उनके लिए कितना सम्मान है। काश मैं उनका स्वागत सम्मान उसी शान ओ शौकत से कर पाता जिस तरह सम्मानित कविगणों केा सम्मान किया गया। जो हुआ उसकी नैतिक जिम्मेदारी मेरी है। मैं क्षमा चाहता हूँ। आशा है कि योगदानकर्ता मुझे मुआफी देगें और कोश के प्रति अपना सहयोग बनाए रखेंगे।.........’’

लालित्य फाउन्डेशन समर्थित परियोजना

इसके संस्थापक वर्तमान में कविताकोश परियोजना को विस्तारित करते हुये इसे चलाने के लिये एक एन0 जी0 ओ0 बनाये जाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं लालित्य इन्टर नेशनल फाउन्डेशन द्वारा इस परियोजना का समथ्रन करते हुये इसे विस्तारीकारण में योगदान दिया जा रहा हे

इन्हें भी देखें

गद्य कोश