अल्फ़्रेद नोबेल

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साँचा:ज्ञानसन्दूक व्यक्ति

ऐल्फ्रेड बर्नार्ड नोबेल (Nobel, Alfred Bernhard, 1833-1896), स्वीडन निवासी रसायनज्ञ तथा इंजीनियर थे। इन्होने डाइनामाइट नामक प्रसिद्ध बिस्फोटक का आविष्कार किया था। विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार की स्थापना १९००(1901)

जीवनी

ऐल्फ्रेड बर्नार्ड नोबेल का जन्म बाल्टिक सागर के किनारे बसे स्टॉकहोम नामक नगर में हुआ था इनके पिता सन् 1842 से सेंट पीटर्सबर्ग में परिवार सहित रहने लगे। यहाँ वे रूस की सरकार के लिए खेती के औजारों के सिवाय अग्न्यास्त्र, सुरंगें (mines) और तारपीडो के निर्माण में लगे रहे।

बालक ऐल्फ्रेड को सन् 1850 में अध्ययन के लिए संयुक्त राष्ट्र अमरीका, भेजा गया, किंतु वहां ये केवल एक वर्ष ही रह सके। रूस से स्वीडन वापस आने पर वे अपने पिता के कारखाने में विस्फोटकों के, विशेषकर नाइट्रोग्लिसरिन के, अध्ययन में लग गए। 3 सितंबर 1864 को भयानक विस्फोट के कारण यह संपूर्ण कारखाना नष्ट हो गया और इनके छोटे भाई की उसी में मृत्यु हो गई। फिर भी ये नाइट्रोग्लिसरिन ऐसे अप्रत्याशित रूप से विस्फोट करनेवाले द्रव्य को वश में करने के पायों की खोज में लगे रहे। सन् 1867 में इन्होंने धूमरहित बारूद का भी, जिसने आगे चलकर कॉर्डाइट (cordite) का रूप ले लिया, आविष्कार किया। इन दोनों ही पदार्थों का उद्योग में तथा युद्ध में भी विस्तृत रूप से उपयोग होने लगा। इससे तथा रूस स्थित बाकू के तैलक्षेत्रों में धनविनियोजन से इन्होंने विशाल धनराशि एकत्रित कर ली।

इनका जीवन रोगों से युद्ध करते बीता। इन्होंने जीवन पर्यंत विवाह नहीं किया तथा एकाकी जीवन बिताया। मानव हित की आकांक्षा से प्रेरित होकर इन्होंने अपने धन का उपयोग एक न्यास (trust) स्थापित करने में किया, जिससे प्रति वर्ष (1) भौतिकी, (2) रसायन, (3) शरीर-क्रिया-विज्ञान वा चिकित्सा, (4) आदर्शवादी साहित्य तथा (5) विश्वशांति के क्षेत्रों में सर्वोत्तम कार्य करनेवालों को पुरस्कार दिया जाता है। ये पुरस्कार नोबेल पुरस्कार कहलाते हैं। सन् 1901 से नोबेल पुरस्कार का देना आरंभ हुआ है।

बाहरी कड़ियाँ

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