आदिवासी भाषाएँ

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साँचा:स्रोतहीन भारत में सभी आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा है। भाषाविज्ञानियों ने भारत के सभी आदिवासी भाषाओं को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों में रखा है। द्रविड़ आस्ट्रिक और चीनी-तिब्बती। लेकिन कुछ आदिवासी भाषाएं भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत भी आती हैं। आदिवासी भाषाओं में ‘भीली’ बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है जबकि दूसरे नंबर पर ‘गोंडी’ भाषा और तीसरे नंबर पर ‘संताली’ भाषा है।

भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें हाल-फिलहाल शामिल की गयी संताली और बोड़ो ही मात्र आदिवासी भाषाएं हैं। अनुसूची में शामिल संताली (0.62), सिंधी, नेपाली, बोड़ो (सभी 0.25), मिताइ (0.15), डोगरी और संस्कृत भाषाएं एक प्रतिशत से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं। जबकि भीली (0.67), गोंडी (0.25), टुलु (0.19) और कुड़ुख 0.17 प्रतिशत लोगों द्वारा व्यवहार में लाए जाने के बाद भी आठवीं अनुसूची में दर्ज नहीं की गयी हैं। (जनगणना 2001)

भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 5 आदिवासी भाषाओं - संताली, मुण्डारी, हो, कुड़ुख और खड़िया - को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।

भारत की आदिवासी भाषाएं

भाषिक दृष्टि से भारत में आदिवासी भाषाओं के पांच प्रमुख भाषायी परिवार हैं -

  1. आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार
  2. चीनी-तिब्बती भाषा परिवार
  3. द्रविड़ भाषा परिवार
  4. अंडमानी भाषा परिवार
  5. भारोपीय आर्य भाषा परिवार

आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार

भारत का एक प्राचीन भाषा परिवार कोल है। कोल भाषा परिवार को आस्ट्रो - एशियाटिक भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि दक्षिण -पूर्वी एशिया के द्वीप समूहों से लेकर प्रशांत महासागर के छोटे - बड़े द्वीपों को समेटते हुए आस्ट्रेलिया तक एक ही परिवार की भाषा बोली जाती है। यह आदिवासी भाषा परिवार मुख्य रूप से भारत में झारखंड, छत्तीसगढ, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के ज्यादातर हिस्सों में बोली जाती है। संख्या की दृष्टि से इस परिवार की सबसे बड़ी भाषा संथाली या संताली है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हो, मुंडारी, खड़िया, सावरा इत्यादी प्रमुख भाषाएं हैं।

चीनी-तिब्बती भाषा परिवार

इस परिवार की ज्यादातर भाषाएं भारत के सात उत्तर-पूर्वी राज्यों में बोली जाती है। जिनमें नगा, मिज़ो, म्हार, मणिपुरी, तांगखुल, खासी, दफ़ला, आओ आदि भाषाएं प्रमुख हैं।

द्रविड़ भाषा परिवार

यह भाषा परिवार भारत का दूसरा सबसे बड़ा भाषायी परिवार है। इस परिवार की सदस्य गैर-आदिवासी भाषाएं ज्यादातर दक्षिण भारत में बोली जाती हैं। जिसमें तमिल, कन्नड़, मलयालम और तेलुगू भाषाएं हैं। परंतु द्रविड़ परिवार की आदिवासी भाषाएं पूर्वी, मध्य और दक्षिण तक के राज्यों में बोली जाती हैं। गोंडों की गोंडी, उरांव, किसान और धांगर समुदायों की कुड़ुख और पहाड़िया की मल्तो या मालतो द्रविड़ परिवार की प्रमुख आदिवासी भाषाएं हैं।

अंडमानी भाषा परिवार

जनसंख्या की दृष्टि से यह भारत का सबसे छोटा आदिवासी भाषाई परिवार है। इसके अंतर्गत अंडबार-निकाबोर द्वीप समूह की भाषाएं आती हैं, जिनमें अंडमानी, ग्रेड अंडमानी, ओंगे, जारवा आदि प्रमुख हैं।

भारोपीय आर्य भाषा परिवार

भारत की दो तिहाई से अधिक गैर-आदिवासी आबादी हिन्द आर्य भाषा परिवार की कोई न कोई भाषा विभिन्न स्तरों पर प्रयोग करती है। जैसे, संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, उड़िया, असमिया, मैथिली, भोजपुरी, मारवाड़ी, गढ़वाली, कोंकणी आदि भाषाएं।

परंतु राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के भीलों की वर्तमान भीली, भिलाला और वागड़ी, इसी भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत आती है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ