इस्लाम में स्त्री

भारतपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
एक लड़की क़ुरआन पढ़ते हुवे। 1880 की पेंटिंग, - उस्मानिया सल्तनत के "उस्मान हामदी बे" द्वारा चित्रित, जो अक्सर शिक्षा कार्यक्रमों से जुड़े हुए थे। [१]

मुस्लिम महिलाओं के व्यवहार में और विभिन्न समाजों की महिलाओं के व्यवहार में व्यापक रूप से भिन्नता है क्योंकि, इस्लाम के प्रति उनका आज्ञापालन इसका एक प्रमुख कारक होता है जो अपने जीवन को अलग-अलग स्तर तक प्रभावित करता है और उन्हें एक तुल्य पहचान प्रदान करता है, जो उनको , विविध सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मतभेदों से जोड़ने में मदद कर सकता है।[२]

इस्लाम के पवित्र पाठ क़ुरआन, हदीस, इज्मा, क़ियास, धर्मनिरपेक्ष कानून (इस्लाम से मान्य), फ़तवा (प्रकाशित राय जो बाध्यकारी नहीं हो।), आध्यात्मिक गुरु (सूफ़ी मत), धार्मिक प्राधिकारी (जैसे: Indonesian Ulema Council) वें प्रभावी तत्व हैं जिनसे इस्लामी इतिहास के क्रम में महिलाओं के सामाजिक, आध्यात्मिक और विश्व तत्व संबंधी स्थिति को परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है

सन्दर्भ

  1. "Artist Feature: Who Was Osman Hamdi Bey?". How To Talk About Art History. 27 April 2017. मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 June 2018.
  2. "Women in Muslim Societies: Diversity Within Unity". अभिगमन तिथि 10 दिसम्बर 2017.

साँचा:आधार