कमला नदी

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कमला नदी नेपाल से उत्पन्न होकर मुख्यतः भारत के बिहार राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह नदी मिथिलांचल में गंगा नदी के बाद सर्वाधिक पुण्यदायिनी तथा महत्वपूर्ण उर्वरा-शक्ति युक्त मानी जाती है।

उद्गम एवं प्रवाह-मार्ग

कमला का उद्गम-स्थान नेपाल के 'महाभारत पर्वत' कहलाने वाली शृंखला में है। कमला त्रिस्रोतसा नदी है; अर्थात मूलतः तीन धाराएँ मिलकर कमला नदी बनती है। पश्चिम और मध्य भाग के स्रोत नेपाल के सिंधुली जिले से चलकर धनुखा जिले में आते हैं। इनमें पश्चिम के स्रोत से मध्य का स्रोत छोटा है, लेकिन पूर्व का तीसरा स्रोत लंबा है और कमला का वास्तविक उद्गम यही स्रोत है।[१] स्त्रोत का उद्गम सागरमाथा अंचल के उदयपुर जिले के उत्तरी छोर में है और यह उदयपुर गढ़ी से नैऋत्य कोण में बहते हुए जनकपुर अंचल के धनुखा जिले में आकर तीनों स्रोत परस्पर मिलकर दक्षिण की ओर बढ़ते हैं। पहले पश्चिम और मध्य भाग के स्रोतों का मिलन होता है और फिर तीनों धाराएँ परस्पर मिलकर लगभग 18 मील पूर्व दिशा की ओर बहने के बाद उदयपुर गढ़ी के उत्तर से नेपाल के पहाड़ी भाग में लगभग 15 मील बहती हैं और तब उसकी तराई के धनुखा जिले में उतरती है। इस तराई भाग में भी लगभग 20 मील दक्षिण की ओर बहने के बाद भारत के बिहार राज्य में जयनगर नामक प्रसिद्ध स्थान के पास कमला बिहार के वर्तमान मधुबनी जिले में अवतरित होती है,[१] जहाँ उसे अत्यधिक पवित्र नदी के रूप में मान्यता प्राप्त हो जाती है।

महिमा

पुण्य की दृष्टि से मिथिला में गंगा के बाद कमला का ही सर्वोपरि स्थान है। श्रीवृहद्विष्णुपुराण के चतुर्दश अध्याय में 'मिथिला-माहात्म्य' के अंतर्गत मिथिला की महत्त्वपूर्ण नदियों का नाम गिनाने के क्रम में सर्वप्रथम 'कोशी' के बाद 'कमला' का ही नाम लिया गया है।[२] यद्यपि मिथिलांचल की नदियों में कोसी सबसे बड़ी नदी है, परंतु उसकी प्रसिद्धि महाविनाशनी नदी के रूप में ही रही है। इसके विपरीत कमला शस्यहस्ता विष्णुप्रिया लक्ष्मी के रूप में प्रसिद्ध रही है। लोग इसे 'कमला मैया' कह कर पूजते हैं। एक मान्यता कोसी को महाकाली, कमला को महालक्ष्मी तथा बागमती को महासरस्वती के रूप में मानने की भी रही है।[३] कोसी का पानी जिधर से बहता है उधर की जमीन बंजर हो जाती है; जबकि कमला का पानी बाढ़ में जिधर से गुजरता है उधर ऐसी पाँक छोड़ते जाता है कि फसलों की उपज कई गुना बढ़ जाती है।[४] इसलिए बाढ़ में विकराल रूप धारण करने के बावजूद तथा काफी नुकसान पहुँचाने के बावजूद कमला की महिमा कमला मैया के रूप में बनी हुई है।

प्राचीन प्रवाहमार्ग

कमला की काफी प्राचीन तीन धाराएँ मिथिलांचल की एक प्रसिद्ध नदी 'जीबछ नदी' से मिलकर बहती थी, जिसका नामशेष अब 'जीवछ नदी' के रूप में ही रह गया है। कमला की ये प्राचीन धाराएँ जयनगर-मधुबनी रेल मार्ग से पश्चिम होकर बहती थीं, जबकि बाद की धाराएँ जयनगर-मधुबनी रेल मार्ग से पूरब होकर बहती रही हैं। ये ही धाराएँ वस्तुतः 'कमला नदी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। वर्तमान में कमला मिथिलांचल की अपेक्षाकृत छोटी नदी 'बलान' से मिलकर बहती है और प्रायः 'कमला-बलान' के नाम से जानी जाती है। यह बलान मिथिलांचल की ही एक बड़ी नदी 'भुतहीबलान' से भिन्न है। कमला नाम से प्रसिद्ध धारा का भी प्राचीन मार्ग अब सूख चुका है तथा इतिहास बन चुका है।

कमला की प्राचीन धारा भी जयनगर के निकट पूर्वी भाग के रेल मार्ग से प्रायः सटी हुई ही दक्षिण की ओर बहती हुई जयनगर के पूर्वी भाग के विशाल चौर (खाली स्थान, निर्जन) से होकर गुजरती थी। कमला की इस धारा के किनारे ब्रह्मोत्तर, सेलरा, सुक्खी, भकुआ, मनियरवा तथा खजौली गाँव पड़ते थे। सुक्खी के पास मिथिलांचल की एक काफी छोटी नदी 'धौरी' कमला से मिलती थी। कमला की यह प्राचीन धारा खजौली रेलवे स्टेशन और खजौली गाँव से के बीच से बहती थी। इस धारा की दाँयी ओर पश्चिम में रेलवे स्टेशन तथा बाँयी ओर पूरब में खजौली गाँव था। उस समय गाँव से स्टेशन की दूरी लगभग ढाई मील थी। खजौली से दक्षिण लगभग ढाई-तीन मील दूर लालपुर नामक गाँव तक जाकर कमला अग्निकोण में मुड़ती थी। मधुबनी से 7 मील दूर पूरब-उत्तर कोने में स्थित मिर्जापुर नामक गांव के पास कमला की एक और धारा परिहारपुर की ओर से आकर मिलती थी तथा इसके बाद कमला अग्नि कोण में बहती हुई कोइलख गाँव से पश्चिम रघुवीर चक गाँव के पास से बहती हुई रामपट्टी, खनगाँव और नवहथ गाँव तक पहुँचती थी। नवहथ गाँव के पास से कमला की दो धाराएँ बनती थी, जिसमें से पूरबी धारा बिल्कुल समाप्त हो गयी है।[५] यह धारा लोहट मिल के पास से तथा 'भौर' गाँव होते हुए अग्निकोण में रामपुर तथा माधोपुर गाँव तक पहुँचती थी। माधोपुर से यह प्राचीन धारा दक्षिण दिशा में मुड़ कर सरिसवपाही के पूर्व से दरभंगा- झंझारपुर रेल लाइन को पाड़कर दक्षिण जाती थी। झंझारपुर से 3 मील पश्चिम में सुखवारे गाँव के पास यह रेल लाइन पार करती थी। इस रेललाइन के दक्षिण तथा कमला की इस मृतधारा के दाएँ भाग में पश्चिम दिशा में बिसौल नामक गाँव है। यह बिसौल गाँव हरलाखी के पास वाले बिसौल से भिन्न है। यहाँ से यह प्राचीन धारा अधिकतर अग्निकोण में झुकती हुई दक्षिण दिशा की ओर बहती थी तथा लगमा गांव से गुजरती हुई मदरिया गांव तक जाती थी और बहेड़ा के पूर्वोत्तर भाग में स्थित प्राचीन चौर (झील) में समाप्त हो जाती थी। चौर में जहां यह धारा अपना जलाशय बनाती थी वह स्थान बहेड़ा से लगभग 5 या 6 मील पूर्व-उत्तर दिशा में है।

मौजमपुर के निकट कमला की छाड़न (परित्यक्त) नदी का एक दृश्य

नवहथ गाँव के पास कमला की जो दूसरी धारा पश्चिम की ओर मुड़ती थी वह सेमुआर गाँव के अग्नि कोण में पहुँचकर सकरी-मधुबनी रेल लाइन को लाँघकर उसके पश्चिमी भाग से सटे-सटे दक्षिण की ओर चलती हुई दहिभत-नरोत्तम गाँव को जाती थी। यह गाँव इसकी बाईं ओर तथा रेल लाइन के पूरब स्थित है। सकरी में रेलवे लाइन लाँघकर दक्षिण दिशा में बहती हुई कमला की यह धारा राघोपुर, नेहरा, मौजमपुर तथा सिरीरामपुर नामक गांव को पहुंचती थी। बहेड़ा से पूरब नवादा गांव भी इस धारा के बाएँ किनारे बसा है और मझौरा गाँव दाएँ किनारे। इस मझौरा गाँव से कमला की यह धारा अग्नि कोण में चलती हुई श्रीपुर-जगत गाँव होते हुए हरसिंघपुर के पास पहुँच कर दक्षिण दिशा में बहती हुई विशुनपुर गाँव से होती हुई डुमरी तथा बिरौल के पश्चिम में पहुँचती थी। बिरौल बाजार कमला की इस धारा के बाएँ किनारे अवस्थित है। यहाँ से दक्षिण की ओर बहने पर कमला समस्तीपुर जिले के सिंघिया थाने में प्रवेश करती थी और अपनी धारा को अग्नि कोण में मोड़ते हुए मिस्सी गाँव तक पहुँचती थी। मिस्सी गाँव से दक्षिण महरी नामक गाँव के पास यह तारसराय होकर आने वाली अपनी प्राचीन शाखा जीवछ की पूरबी धारा को ग्रहण कर लेती थी। फिर अग्नि कोण में बहती हुई मोहीम खुर्द तथा बिसरिया गाँव होते हुए पिपरा गांव के पास उत्तर वाहिनी हो जाती थी। फिर कुछ दूर बाद पूर्व दिशा की ओर बहती हुई दक्षिण दिशा में घूमकर दरभंगा-सहरसा जिले की सीमा बनती हुई दक्षिण दिशा में बहती हुई इटहर, सिमरटोक, महादेव मठ आदि गाँव के पास पहुँचती थी। पहले तिलकपुर के पूर्वोत्तर कोण में कमला की इस धारा का बागमती की शाखा 'करेह' से संगम होता था; लेकिन अब कोसी से संगम होता है।[६] उक्त इटहर गाँव के पश्चिम में ही कुशेश्वर नामक प्रसिद्ध शिवस्थान है।

वर्तमान प्रवाहमार्ग

सन् 1954 ई० तक कमला ऊपरिवर्णित धारामार्गो से ही बहती थी। वे धाराएँ अब इसकी छाड़न नदी बन गयी हैं।[६] सन् 1954 ई० में कमला अपना निजी धारामार्ग छोड़कर अचानक मिथिलांचल की एक छोटी नदी सोनी और भुतही बलान से काफी पश्चिम बहने वाली एक अन्य 'बलान' (त्रिशूला-बलान) नामक नदी के प्रवाह मार्ग को आत्मसात करके बहने लगी। वर्तमान में कमला की धारा जयनगर के पास से दक्षिण की ओर बहकर आती हुई खजौली थाने में प्रवेश करती है और भटचौरा (भरचौरा) के दक्षिण तथा भकुआ के पूर्व-दक्षिण कोण में तथा चतरा-गोबरौरा के पूर्वोत्तर कोण में सोनी नदी के प्रवाह मार्ग को अपना लेती है। सोनी नदी पूर्व काल में नेपाल की तराई भाग से बहकर आती हुई मधुबनी जिले के कुमरखत गाँव के पूरब तथा कमतौलिया के पश्चिम से होकर बहती थी तथा छौरही एवं बरुआर गाँव के पास होती हुई कमला के तटबंध में समा जाती थी। अब इसका नामोनिशान मिट चुका है। उक्त स्थान से सोनी के ही धारामार्ग से बहती हुई कमला बाबूबरही के पश्चिम 'पिपराघाट' नामक प्रसिद्ध स्थान पर बलान नदी से मिलती है तथा उसके आगे बलान के अस्तित्व को समाप्त करती हुई उसी के धारामार्ग को अपना बनाकर वर्तमान में बह रही है। पिपराघाट के आगे वर्तमान में जो कमला का धारामार्ग है वह वस्तुतः पहले उक्त बलान नदी का ही धारामार्ग था। बलान को आत्मसात करने के बाद कमला की यह आधुनिक धारा भटगामा, बिथौनी, चपही, गंगाद्वार (गँगदुआर) तथा इमादपट्टी गाँव के पास पहुँचती है। इमादपट्टी के दक्षिण में मधुबनी से संग्राम नामक गाँव तक जाने वाला प्राचीन मार्ग कमला को पार करता है। यह घाट पहले बलान नदी का घाट था, परंतु अब यह कमला नदी का घाट कहलाता है। यही घाट कंदर्पी घाट नाम से प्रसिद्ध है।[७] कंदर्पी घाट के पास से दक्षिण की ओर बहती हुई कमला महरैल गाँव तक पहुँचती है और फिर महिनाथपुर होती हुई झंझारपुर पहुँचती है। झंझारपुर में कमला नदी के ऊपर से रेलवे पुल है। इसके बाद कमला की यह आधुनिक धारा रतौल तथा गंगापुर नामक गाँव के पास से बहती हुई 'राजा खरवार' के पश्चिम में आकर दक्षिण-पूर्व कोने में मुड़ती हुई जदुपट्टी, पड़री, दोहथा आदि गाँवों से बहती हुई सुप्रसिद्ध गाँव भीठ भगवानपुर तक पहुँचती है। भीठ भगवानपुर कमला से पूरब में स्थित है। दोहथा गाँव के पूरब में पहले बलान नदी तिलयुगा से मिलती थी, परंतु वे नदियाँ अब समाप्त हो गयी हैं तथा वहीं अब बलान को आत्मसात करने वाली कमला का संगम कोसी नदी से होता है।[८] इस प्रकार कमला का मुहाना अब कोसी नदी से मिलकर बनता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. १.० १.१ बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, हवलदार त्रिपाठी 'सहृदय', बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना, संस्करण-2003, पृ०-317.
  2. वृहद्विष्णुपुराणीय मिथिला-माहात्म्यम् (सटीक), श्लोक संख्या-38, संपादन-अनुवाद- पं० श्री धर्मनाथ शर्मा, प्रकाशन विभाग, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, संस्करण-1980, पृष्ठ-7 (भूमिकादि के पश्चात्)।
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मई 2018.
  4. बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, पूर्ववत्, पृ०-316.
  5. बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, पूर्ववत्, पृ०-318.
  6. ६.० ६.१ बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, पूर्ववत्, पृ०-321.
  7. बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, पूर्ववत्, पृ०-322.
  8. बिहार की नदियाँ : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, पूर्ववत्, पृ०-324.

साँचा:बिहार के जल निकाय