कुनैन

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साँचा:आज का आलेख

साँचा:Drugbox कुनैन (साँचा:IPA-en, साँचा:IPA-en) एक प्राकृतिक श्वेत क्रिस्टलाइन एल्कलॉएड पदार्थ होता है, जिसमें ज्वर-रोधी, मलेरिया-रोधी, दर्दनाशक (एनल्जेसिक), सूजन रोधी गुण होते हैं। ये क्वाइनिडाइन का स्टीरियो समावयव होता है, जो क्विनाइन से अलग एंटिएर्हाइमिक होता है। ये दक्षिण अमेरिकी पेड़ सिनकोना पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक मलेरिया बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। कुनैन पराबैंगनी प्रकाश संवेदी होती है, व सूर्य के प्रकाश से सीधे संपर्क में फ़्लुओरेज़ हो जाती है। ऐसा इसकी उच्चस्तरीय कॉन्जुगेटेड रेसोनॅन्स संरचना के कारण होता है।

रासायनिक संरचना

कुनैन में दो प्रधान फ्यूज़्ड-रिंग होते हैं: एक ऍरोमैटिक क्वीनोलिन और दूसरा द्विचक्रीय क्वीन्यूक्लिडाइन

पी. फ़ैल्सिपैरम के विरुद्ध प्रक्रिया

अन्य क्वीनोलिन मलेरिया-रोधी औषधियों के संग क्विनाइन की क्रिया के भांति ही इसकी क्रिया का भी अभी तक पूर्ण ज्ञान नहीं हो पाया है। कुनैन का सर्वाधिक प्रचलित एवं मान्य हाइपोथीसिस इसके निकट संबंधी और पूर्ण अध्ययन किये गए क्विनोलिन ड्रग क्लोरोक्वीन पर आधारित है। इस प्रतिरूप में हीमोज़ोइन बायोक्रिस्टलाइज़ेशन का इन्हिबिशन शामिल है, जिसमें साइटोटॉक्सिक हीमि का एग्रीगेशन सम्मिलित होता है। मुक्त साइटोटॉक्सिक हीमि परजीवियों के शरीर में एकत्रित होता जाता है, जो उनकी मृत्यु का कारण बन जाता है।

प्रयोग

इसे टॉनिक वाटर में मिलाने के कारण एक समय ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले कई लोगों की मृत्यु हो गई थी, जहां इसे रोग-निरोधी के रूप में प्रयोग के लिए ले जाया गया था। इस टॉनिक वाटर को एंटी मलेरिया औषधि के रूप में विकसित किया गया, लेकिन बाद में लोगों ने इसे मदिया में मिलाना शुरू कर दिया क्योंकि इससे उन्हें शराब का स्वाद बेहतर लगने लगता था। अमरीका के एफ़डीए द्वारा कुनैन को संदिग्ध औषधि रूप में निषेध कर दिया गया है।[१]

कुनैन

आज के टॉनिक वाटर में पर्याप्त मात्र में कुनैन नहीं मिलाई जाती, जिस कारण यह मलेरिया के लिए रोगनिरोधक के तौर पर प्रयोग नहीं होती। कुनैन को बाजार से गोली या फिर तरल रूप में खरीदा जा सकता है। इसका प्रयोग हड्डियों के मरोड़ में भी किया जाता है। प्रसव (बच्चे के जन्म) के दौरान गर्भाशय में संकुचन के लिए भी किया जाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को कुनैन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कृत्रिम कुनैन

सिन्कोना के पेड़ अभी तक कुनैन के एकमात्र वाणिज्यिक, मितव्ययी व व्यवहारिक स्रोत हैं। वैसे युद्धों के समय आवश्यकता के दबाव में इसके कृत्रिम उत्पादन के प्रयास भी किये गए थे। इसके लिये एक औपचारिक रासायनिक संश्लेषण को १९४४ में अमरीकी रासायनज्ञ [[रॉबर्ट बर्न्स वुडवर्डएवं डब्लु ई डोरिंग द्वारा मूर्त रूप दिया गया था।[२] तबसे कई अधिक दक्ष क्विनाइन टोटल सिंथेसिस तरीके प्राप्त कर लिये गए हैं।[३] किन्तु इन सभी में से प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त एल्केलॉएड के आइसोलेशन की प्रक्रिया सबसे सस्ता है।

सन्दर्भ

  1. "एफ़डीए, संयुक्त राज्य की सिफ़ारिश". मूल से 19 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2010.
  2. साँचा:Cite journal
  3. साँचा:Cite journal

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:मलेरिया