गति के समीकरण

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एक निकाय जिसमें तीन आश्रित गतियाँ हैं तथा स्वातंत्र्य कोटि (degrees of freedom) 2 है।

गति के समीकरण, ऐसे समीकरणों को कहते हैं जो किसी पिण्ड के स्थिति, विस्थापन, वेग आदि का समय के साथ सम्बन्ध बताते हैं।

गति के समीकरणों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गति में स्थानान्तरण हो रहा है या केवल घूर्णन है या दोनो हैं, एक ही बल काम कर रहा है या कई, बल (त्वरण) नियत है या परिवर्तनशील, पिण्ड का द्रव्यमान स्थिर है या बदल रहा है (जैसे रॉकेट में) आदि।

परम्परागत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) में गति का समीकरण इस प्रकार है :-

<math> m \cdot \frac{d^2 \vec r(t)}{dt^2} = \sum_i \vec F_i(\vec r,t) </math>.

इसे निम्नलिखित रूप में भी लिखा जा सकता है :-

<math> m \cdot \vec a = \sum_i \vec F_i </math>

जहाँ <math>m</math>, वस्तु का द्रव्यमान है, तथा <math> \vec F_i(\vec r,t) </math> वस्तु पर लगने वाले बल हैं।

नियत त्वरण के अधीन रेखीय गति के समीकरण

स्प्रिंग से जुड़े हुए दो द्रव्यमानों की गति
डुबकी मारते समय पिण्ड (व्यक्ति) का जड़त्वाघूर्ण परिवर्तनशील रहता है।

यदि कोई वस्तु एक नियत त्वरण के अन्तर्गत रेखीय गति कर रही है (उदाहरणः पृथ्वी के गुरुत्व बल के आधीन किसी वस्तु का मुक्त रूप से गिरना) तो :

<math>v = u+at \,</math>...(१)
<math>s = \frac {1} {2}(u+v) t </math>...(२)
<math>s = ut + \frac {1} {2} a t^2 </math>...(३)
<math>s = vt - \frac {1} {2} a t^2 </math>...(४)
<math>v^2 = u^2 + 2 a s \,</math>...(५)

समीकरण (२) और (१) को मिलाकर समीकरण (३), (४) एवं (५) प्राप्त किये जा सकते हैं।

उपरोक्त समीकरणों में,

s = विस्थापन है (आरम्भिक स्थिति से अन्तिम स्थिति तक का स्थिति सदिश)
u = आरम्भिक वेग
v = अन्तिम वेग
a = अपरिवर्तनशील त्वरण
t = समय, अर्थात वस्तु द्वारा आरम्भ की स्थिति से अन्तिम स्थिति तक पहुँचने में लिया गया समय

घूर्णीय गति के समीकरण

यदि वस्तु नियत कोणीय त्वरण के अन्तर्गत घूर्णन (rotation) कर रही है तो उपरोक्त समीकरणों की भाँति उसकी घूर्णीय गति को व्यक्त करने वाले समीकरण इस प्रकार होंगे:

<math> \omega = \omega_0 + \alpha t \,</math>
<math> \phi = \phi_0

+ \begin{matrix} \frac{1}{2} \end{matrix}(\omega_0 + \omega)t </math>

<math> \phi = \phi_0 + \omega_0 t + \begin{matrix} \frac{1}{2} \end{matrix}\alpha {t^2} \,</math>
<math> (\omega)^2 = (\omega_0)^2 + 2\alpha \Delta \phi \,</math>
<math> \phi = \phi_0 + \omega t - \begin{matrix} \frac{1}{2} \end{matrix}\alpha {t^2} \,</math>

जहाँ :

<math>\alpha </math> कोणीय त्वरण (angular acceleration) है
<math>\omega </math> कोणीय वेग (angular velocity) है
<math>\phi </math> कोणीय विस्थापन (angular displacement) है
<math>\omega_0 </math> प्रारम्भिक कोणीय वेग (initial angular velocity) है
<math>\phi_0 </math> प्रारम्भिक कोणीय विस्थापन (initial angular displacement)
<math>\Delta \phi </math> कोणीय विस्थापन में परिवर्तन (<math>\phi</math> - <math>\phi_0</math>). है

जब आरम्भिक स्थिति, आरम्भिक वेग, और त्वरण अलग-अलग दिशाओं में हों

प्रक्षेप्य गति भी देखें।

उस कण का पथ (Trajectory) जिसका आरम्भिक स्थिति सदिश साँचा:Math है तथा वेग साँचा:Math है, तथा वह एक नियत त्वरण साँचा:Math के साथ गति कर रही है। ये तीनों राशियाँ अलग-अलग दिशा में (किन्तु समय के साथ अपरिवर्ती) हैं। इस चित्र में स्थिति साँचा:Math तथा वेग साँचा:Math को साँचा:Math पर दर्शाया गया है।

आरम्भिक स्थिति सदिश, आरम्भिक वेग सदिश तथा त्वरण सदिश एक ही दिशा में होना आवश्यक नहीं है।

<math>\begin{align}

\mathbf{v} & = \mathbf{a}t+\mathbf{v}_0 \quad [1]\\ \mathbf{r} & = \mathbf{r}_0 + \mathbf{v}_0 t + \tfrac12\mathbf{a}t^2 \quad [2]\\ \mathbf{r} & = \mathbf{r}_0 + \tfrac12 \left(\mathbf{v}+\mathbf{v}_0\right) t \quad [3]\\ v^2 & = v_0^2 + 2\mathbf{a}\cdot\left( \mathbf{r} - \mathbf{r}_0 \right) \quad [4]\\ \mathbf{r} & = \mathbf{r}_0 + \mathbf{v}t - \tfrac12\mathbf{a}t^2 \quad [5]\\ \end{align}</math>

इन समीकरणों को देखिए। ये अधिकांशतः उन समीकरणों जैसे ही हैं जिनमें आरम्भिक स्थिति, आरम्भिक वेग और त्वरण सब एक ही दिशा में होते हैं। केवल समीकरण संख्या [4] अलग है जिसमें सदिशों के साधारण गुणन के बजाय अदिश गुणनफल (डॉट प्रोडक्ट) लिया गया है। इन समीकरणॉं को व्युत्पन्न करने का तरीका भी एकदिश केस जैसा ही है-

समीकरण [4] को टोरिसेली समीकरण कहा जाता है। इसे निम्नलिखित प्रकार से निकाला गया है-

<math>v^{2} = \mathbf{v}\cdot\mathbf{v} = (\mathbf{v}_0+\mathbf{a}t)\cdot(\mathbf{v}_0+\mathbf{a}t)=v_0^{2}+2t(\mathbf{a}\cdot\mathbf{v}_0)+a^{2}t^{2}</math>
<math>(2\mathbf{a})\cdot(\mathbf{r}-\mathbf{r}_0) = (2\mathbf{a})\cdot\left(\mathbf{v}_0t+\tfrac{1}{2}\mathbf{a}t^{2}\right)=2t(\mathbf{a}\cdot\mathbf{v}_0)+a^{2}t^{2} = v^{2} - v_0^{2}</math>
<math>\therefore v^{2} = v_0^{2} + 2(\mathbf{a}\cdot(\mathbf{r}-\mathbf{r}_0))</math>

कोई वस्तु दूर प्रक्षेपित करनी हो (दागनी हो) तो ऊपर दिये गये समीकरणों का प्रयोग किया जा सकता है। किन्तु ध्यान रहे कि उपरोक्त समीकरणों में वायु का प्रतिरोध नगण्य मानकर उन समीकरणों को व्युत्पन्न किया गया है। यदि वायु का प्रतिरोध नगण्य न हो तो उस प्रक्षेप्य के गति की गणना अलग तरीके से करनी होगी।

गतिज ऊर्जा

यांत्रिक ऊर्जा भी देखें।

यदि कोई पिण्ड रेखीय गति के साथ-साथ घूर्णी गति भी कर रहा हो तो उसकी गतिज ऊर्जा,

<math> E_c = \dfrac{1}{2}m\,v_\mathrm{cm}^2 + \dfrac{1}{2}I_\mathrm{cm}\,\omega^2 </math>

जहाँ

<math>E_c </math> कुल गतिज ऊर्जा है,
<math>v_\mathrm{cm}</math> उस पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र का रेखीय वेग है,
<math>I_\mathrm{cm}</math> उसके द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण है,
तथा <math>\omega</math> द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष उसका कोणीय वेग है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ