गृहयुद्ध

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गृहयुद्ध

के दौरान दो सैनिक अपने ज़ख़्मी साथी को ले जाते हुए]]

श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान कुछ लोग जो अपने घर या सम्बन्धी खो बैठे

गृहयुद्ध एक ही राष्ट्र के अन्दर संगठित गुटों के बीच में होने वाले युद्ध को कहते हैं। कभी-कभी गृह युद्ध ऐसे भी दो देशों के युद्ध को कहा जाता है जो कभी एक ही देश के भाग रहे हों। गृहयुद्ध में लड़ने वाले गिरोहों के ध्येय भिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ पूरे देश पर नियंत्रण पाकर अपनी मनचाही व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, कुछ देश की सरकारी नीतियाँ बदलना चाहते हैं और कुछ देश को विभाजित करके अपने क्षेत्र को स्वतन्त्र बनाना चाहते हैं। गृहयुद्धों अक्सर बहुत घातक होते हैं - लाखों मर सकते हैं, करोड़ों बेघर हो सकते हैं, देश में दशकों तक चलने वाली भयंकर ग़रीबी और भुखमरी फैल सकती है और देश का उद्योग लम्बे अरसे के लिए चौपट हो सकता है। बर्मा, अंगोला और अफ़्ग़ानिस्तान ऐसे देश हैं जिनका भविष्य कभी बहुत उज्ज्वल माना जाता था लेकिन गृहयुद्ध की चपेट में आने से यह दुनिया के सबसे पिछड़े और असुरक्षित देशों में गिने जाने लगे। गृहयुद्धों के दौरान अक्सर विदेशी ताक़तें भी देश को कमज़ोर पाकर उसमें हस्तक्षेप करने लगती हैं, जैसा की १९७५-१९९० तक चलने वाले लेबनान के गृहयुद्ध में हुआ।[१]

अन्य भाषाओँ में

'गृहयुद्ध' को अंग्रेजी में 'सिविल वॉर' (civil war), उर्दू में 'ख़ाना-जंगी' (साँचा:Nastaliq), फ़ारसी में 'जंग दाख़िली' (साँचा:Nastaliq), अरबी में 'हर्ब अहलिया' (साँचा:Nastaliq), जर्मन में 'बुअर्गरक्राइग' (Bürgerkrieg) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Civil wars: internal struggles, global consequencesG - Reference, Information and Interdisciplinary Subjects Series, Marie Olson Lounsbery, Frederic Pearson, University of Toronto Press, 2009, ISBN 978-0-8020-9672-2