दीक्षाभूमि

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दीक्षाभूमि में बोधि वृक्ष
दीक्षाभूमी में आंबेडकर द्वारा बौद्धों को दी हुई 22 प्रतिज्ञाएँ

दीक्षाभूमि भारत में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केन्द्र है। यहाँ बौद्ध धर्म की पुनरूत्थान हुआ है। महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी नागपुर शहर में स्थित इस पवित्र स्थान पर बोधिसत्त्व डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने १४ अक्टूबर १९५६ को पहले महास्थविर चंद्रमणी से बौद्ध धम्म दीक्षा लेकर अपने 5,00,000 से अधिक अनुयायिओं को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। त्रिशरण, पंचशील और अपनी 22 प्रतिज्ञाएँ देकर डॉ॰ आंबेडकर ने हिंदू दलितों का धर्मपरिवर्तन किया। अगले दिन फिर 15 अक्टूबर को 3,00,000 लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी और स्वयं भी फिर से दीक्षीत हुए। देश तथा विदेश से हर साल यहाँ 25 लाख से अधिक आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी आते हैं। हर साल 14 अक्टूबर को यहाँ हजारों की संख्या में लोग बौद्ध धर्म परावर्तित होते रहते हैं। यहां 14 अक्टूबर 2015 में 50,000 दीक्षीत हुए हैं। 14 अक्टूबर 2016 में 20,000 और 25 अक्टूबर 2016 को मनुस्मृति दहन दिवस के उपलक्ष में 5,000 ओबीसी लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है।[१][२]

महाराष्ट्र सरकार ने दीक्षाभूमि को 'अ' वर्ग ('ए' क्लास) पर्यटन क्षेत्र का दर्जा दिया है। नागपुर शहर के सभी धार्मिक व पर्यटन क्षेत्रों में यह पहला स्थल है, जिसे 'ए' क्लास का दर्जा प्राप्त हुआ है।[३]

दीक्षाभूमि पर स्थित बोधिवृक्ष

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "14 अक्टूबर 2016 को 20,000 लोगों ने ली थी धम्मदीक्षा". मूल से 10 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जनवरी 2017.
  2. "5000 ओबीसी बने बौद्ध". मूल से 10 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जनवरी 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जनवरी 2017.