पी एन जंक्शन

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p–n जंक्शन. उअसे नीचे इसका प्रतीक भी दिया गया है।

डायोड एक P टाइप सेमीकंडक्टर और N टाइप सेमीकंडक्टर का जंक्शन होता है इसलिए डायोड को हम P-N जंक्शन डायोड भी कहते हैं।[१] जैसा की हम जानते हैं कि P टाइप सेमीकंडक्टर में होल कि अधिकता रहती है और N टाइप सेमीकंडक्टर में एलेक्ट्रोंस की। हमें ये भी पता है कि विपरीत चार्ज्ड पार्टिकल एक दुसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और समान विकर्षित. चूँकि एलेक्ट्रोंस निगेटिव चार्ज्ड पार्टिकल होते है और होल पोसेटिव, इसलिए जब हम दोनों प्रकार के सेमीकंडक्टर को मिलाते हैं तो एलेक्ट्रोंस और होल एक दुसरे को आकर्षित करते है। कुछ समय बाद दोनों का आकर्षण सीमित हो जाता है और जंक्शन के पास एलेक्ट्रोंस (P साइड में) और होल (N साइड में) की परत बन जाती है और उसे हम डेप्लेशन रीजन कहते हैं। डायोड एक बाइपोलर डिवाइस होता है मतलब इसमें निगेटिव और पोसेटिव दोने साइड होते है। यहाँ आप डायोड की बनावट और उसका इलेक्ट्रोनिक सिम्बोल देख सकते हैं। इसमें एनोड ऋणात्मक (-) और कैथोड धनात्मक (+) सिरों को दर्शाता है। डायोड में करंट के प्रवाह के लिए हमें उसे किसी वोल्टेज सोर्स से जोड़ना पड़ता है जैसे की बैटरी. जैसा की हम जानते हैं कि बैटरी में भी निगेटिव और पोसेटिव दोनों छोर होते हैं इसलिए डायोड को हम बैटरी के साथ दो तरह से जोड़ सकते हैं और इन तरीकों को हम बायसिंग कहते हैं। जब हम बैटरी के (+) को डायोड के (+) से और बैटरी के (-) को डायोड के (-) से जोड़ते हैं तो इसे फॉरवर्ड बायसिंग कहते हैं और जब हम बैटरी के (+) को डायोड के (-) से और बैटरी के (-) को डायोड के (+) से जोड़ते हैं तो इसे रिवर्स बायसिंग कहते हैं।[२]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ