बायोमेट्रिक्स
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जैवमिति या बायोमैट्रिक्स जैविक आंकड़ों एंव तथ्यों की माप और विश्लेषण के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को कहते हैं। अंग्रेज़ी शब्द बायोमैट्रिक्स दो यूनानी शब्दों बायोस (जीवन) और मैट्रोन (मापन) से मिलकर बना है।[१] नेटवर्किंग, संचार और गत्यात्मकता में आई तेजी से किसी व्यक्ति की पहचान की जांच पड़ताल करने के विश्वसनीय तरीकों की आवश्यकता बढ़ गई है। पहले व्यक्तियों की पहचान उनके चित्र, हस्ताक्षर, हाथ के अंगूठे और अंगुलियों के निशानों से की जाती रही है, किन्तु इनमें हेरा-फेरी होने लगी। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने जैविक विधि से इस समस्या का समाधान करने का तरीका खोजा है। इसका परिणाम ही बायोमैट्रिक्स है। वेनेजुएला में आम चुनावों के दौरान दोहरे मतदान को रोकने के लिए बायोमैट्रिक कार्ड का प्रयोग किया जाता है।
विश्वसनीय प्रक्रिया
बायोमैट्रिक्स प्रणाली की विश्वसनीयता अत्यधिक मानी जाती है। इसके कई कारण हैं, जैसे प्रत्येक व्यक्ति में पाई जाने वाली बायोमैट्रिक्स विशिष्ट होती है। बायोमैट्रिक खोजों को न तो भुलाया जा सकता है और न ही इनमें फेरबदल आदि संभव है। यदि किसी दुर्घटनावश अंग विकृत हो जाए, तभी इसमें बदलाव संभव है, अन्यथा यह चिह्न व्यक्ति में स्थाई प्रकृति के होते हैं। पहचान बनाये रखने के लिए एकत्रित बायोमैट्रिक आंकड़ों को पहले एन्क्रिप्ट किया जाता है, ताकि उसका क्लोन न बनाया जा सकें। इसके अलावा इस तकनीक को पासवर्ड एवं कार्ड के साथ मिलाकर प्रयुक्त किया जा सकता है। इस प्रकार बायोमेट्रिक प्रणाली की विश्वसनीयता अत्यधिक बताय़ी जाती है।
मानव गुणधर्मों को बायोमेट्रिक्स में निम्न पैरामीटरों के पद में प्रयोग किया जा सकता है, ये समझना संभव है।[२]
- सार्वभौमिकता - प्रत्येक व्यक्ति की विशेषता होनी चाहिए।
- अद्वितीयता - कितनी सटीकता से बॉयोमेट्रिक दूसरे से भिन्न व्यक्तियों को अलग करता है।
- स्थायित्व - कितनी सटीकता से बॉयोमेट्रिक आयु वर्धन और भविष्य में होने वाले अन्य परिवर्तनों से अप्रभावित रहता है।
- प्रदर्शन - सटीकता, गति और प्रयुक्त प्रौद्योगिकी की मजबूती।
- स्वीकार्यता - एक प्रौद्योगिकी के अनुमोदन की मात्रा।
- निवारण - एक विकल्प के उपयोग में आसानी।
एक बॉयोमेट्रिक प्रणाली निम्नलिखित दो रूपों में काम कर सकती हैं:
- सत्यापन - एक अभिग्रहीत बॉयोमेट्रिक को संग्रहित टेम्पलेट के साथ एक से एक तुलना करके यह सत्यापित किया जा सकता है कि वह व्यक्ति विशेष जो वह होने का दावा कर रहा है, वह ठीक है या नहीं। एक स्मार्ट कार्ड, उपयोगकर्ता का नाम अथवा परिचय संख्या के साथ संयोजन करके ऐसा किया जा सकता है।
- पहचान - एक अज्ञात व्यक्ति की पहचान करने के प्रयास में एक बॉयोमेट्रिक डाटाबेस के साथ कई अभिग्रहित बॉयोमेट्रिक नमूनों की तुलना की जा सकती है। व्यक्ति की पहचान करने में सफलता तभी प्राप्त हो सकती है जब बॉयोमेट्रिक नमूने की तुलना डाटाबेस में टेम्पलेट के साथ पूर्व निर्धारित सीमा के भीतर किया जाये।
प्रयोग
इसमें व्यक्ति के हाथ के अंगूठे के निशान, अंगुलियों, आंखों की पुतलियों, आवाज एवं गुणसूत्र यानि डीएनए के आधार पर उसे पहचाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति की ये चीजें अद्वितीय होती है। ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जर्मनी, इराक, जापान, नाईजीरिया, इज़रायल में ये तकनीक अच्छे प्रयोग में है। जापान में बैंक एटीएम मशीनें हाथों की नसों के दबाव पर खुलती है, ब्राजील में पहचान पत्र में इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है।[१] आस्ट्रेलिया में जाने वाले पर्यटकों को सर्वप्रथम अपने बायोमैट्रिक प्रमाण जमा करने होते हैं। आस्ट्रेलिया विश्व का प्रथम ऐसा देश था, जिसने बायोमैट्रिक्स प्राइवेसी कोड लागू किया। ब्राजील में भी लॉग आईडी कार्ड का चलन है। ब्राजील के प्रत्येक राज्य को अपना पहचान पत्र छापने की अनुमति है, लेकिन उनका खाका और आंकड़े सर्वदा समान रहते हैं।
प्रकार
बायोमैट्रिक का वर्गीकरण मुख्यत: दो गुणधर्मो के आधार पर किया जाता है: मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक गुण। मनोवैज्ञानिक आधार में व्यक्ति के शरीर के अंगों की रचना को ध्यान में रखा जाता है, जैसे उसकी उंगलियों की संरचना, अंगूठे के निशान, आदि; जबकि व्यावहारिक वर्गीकरण में व्यक्ति के व्यवहार को आधार माना जाता है। इसका मापन व्यक्ति के हस्ताक्षर, उसकी आवाज आदि के आधार पर करते हैं।[१] कुछ शोधकर्ताओं ने बॉयोमेट्रिक्स के इस वर्ग के लिए शब्द बिहेवियोमेट्रिक्स शब्द गढ़ा है।[३] वर्तमान में व्यक्ति की जांच पड़ताल हेतु दो विधियों का प्रयोग किया जाता है:
धारक-आधारित
ये व्यक्ति के पास उपलब्ध सुरक्षा कार्ड, क्रेडिट कार्ड पर आधारित होता है। इनमें आसानी से फेरबदल किया जा सकता है और क्रेडिट कार्ड की जालसाजी की घटनाएं प्रायः सुनायी देती हैं।
ज्ञान आधारित
फिशिंग एवं हैकिंग में प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग से कोई पासवर्ड अब उतना सुरक्षित नहीं रह गया, जितना पहले हुआ करता था। साथ ही लंबे समय तक प्रयोग न करने पर पासवर्ड भूल जाने की भी समस्या रहती है। ऐसे में व्यक्ति की इन्हीं कमजोरियों का निदान करने में बायोमैट्रिक्स महत्वपूर्ण है। बायोमैट्रिक्स में शरीर और उसके अंग को सुरक्षा का आधार बनाया जाता है। इसके अलावा सुगंध, रेटिना, हाथों की नसों के आधार पर भी इसे जाना जा सकता है।
लगभग सभी बोयामैट्रिक प्रणालियों में मुख्यत: तीन चरण होते हैं।
- सबसे पहले बायोमैट्रिक सिस्टम में नामांकन करने पर नामांकन करता है।
- दूसरे चरण में इन चीजों को सहेजता है।
- इसके बाद तुलना की जाती है।
- वर्तमान में बात करने के तरीके, हाथ की नसों, रैटिना, डीएनए के आधार पर भी बायोमैट्रिक कार्ड बनाए जाते है।
सन्दर्भ
- ↑ १.० १.१ १.२ समाज की सुरक्षा और सेवा में बायोमैट्रिक्स। हिन्दुस्तान लाइव। २८ मार्च २०१०
- ↑ साँचा:Citation
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 17 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 अप्रैल 2010.
अतिरिक्त पठन
- बायोमैट्रिक्स - पहचान की अत्याधुनिक तकनीक
- व्हाइट पेपर - आईडेनटीफिकेसन फ्लाट्स: अ रेवोलिउशन इन फ़िंगरप्रिंट बॉयोमेट्रिक्स. अवेयर द्वारा प्रकाशित, Inc, मार्च 2009.
- डिलैक, के., ग्रजिक, एम. (2004). अ सर्वे ऑफ़ बॉयोमेंट्रिक रेकोग्निसन मेथड्स.
- NBSP बॉयोमेट्रिक टेक्नोलोजी ऐप्लिकेसन मैनुअल. राष्ट्रीय बॉयोमेट्रिक सुरक्षा परियोजना (NBSP) द्वारा प्रकाशित, BTAM बॉयोमेट्रिक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों पर एक व्यापक संदर्भ मैनुअल है।
- स्कूल में दोपहर के भोजन के लिए फिंगरप्रिंट भुगतान अभिगमन तिथि: २ मार्च २००८
- जर्मनी बॉयोमेट्रिक पासपोर्ट का क्रमानुसार विवेचन नवंबर 2005 से शुरू करेगा। ई-गवर्नमेंट न्यूज। अभिगमन तिथि: ११ जून २००६
- जर्मनी द्वारा वीज़ा आवेदक के लिए बॉयोमेट्रिक पंजीकरण विकल्प को प्राथमिकता। ओएज़कैन, वी. (२००३). हम्बोल्ट विश्वविद्यालय बर्लिन। अभिगमन तिथि: ११ जून २००६