भारतीय अर्थव्यवस्था
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भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक 1 | ||
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मुद्रा | 1 रुपया (रु) = 100 पैसा | |
वित्तीय वर्ष | 1 अप्रेल - 31 मार्च | |
PerCapita | ||
बेरोजगारी दर | 10.19 | |
प्रति व्यक्ति आय | 2900$ | |
रोजगारी क्षमता | 47.2 करोड़ | |
GDP | ||
सकल घरेलू उत्पाद वास्तविक वृद्धि दर | 8.3% | |
सकल घरेलू उत्पाद में स्थान | पाँचवाँ[१] | |
सकल घरेलू उत्पाद | 2.94 लाख करोङ (2021)[२] | |
व्यवसाय द्वारा श्रमिक क्षमता (१९९९) | प्राइमरी(60%), सेकेण्डरी(17%), सेवा (23%) | |
राज्य | ||
गरीबी रेखा से नीचे की आबादी | 25% | |
सकल घरेलू उत्पाद विभिन्न क्षेत्रों में | प्राइमरी (13.9%), सेकेण्डरी (26.1%), सेवा क्षेत्र (59.9%)[२] | |
मुख्य उत्पाद | उद्यान विज्ञान, चावल, गेहूँ, तिलहन, कपास, जूट, चाय, गन्ना, आलू; पशु, भैंस, भेंड़, बकरी, मुर्गी; मत्सय | |
मुख्य उद्योग | वस्त्र उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, औषध उद्योग, रसायन, इस्पात, यातायात के उपकरण, सीमेंट, खनन, पेट्रोलियम, भारी मशीनें, साफ्टवेयर | |
मुख्य व्यापार |
कच्चा तेल, मशीनें, जवाहरात, उर्वरक, रासायन, कपड़े, जवाहरात और गहने, इंजिनयरिंग के सामान, रासायन, | |
आर्थिक सहयोगी | ||
मुद्रास्फीति दर | 3.8% | |
निर्यात | 57.24 अरब डॉलर | |
आयात (2003) | 74.15 अरब डॉलर | |
मुख्य सहयोगी (2003) | संराअमेरिका 6.4%, ब्रिटेन 4.8%, बेल्जियम 5.6%, जापान,सिंगापुर 4%, रूस 4.3%, | |
मुख्य सहयोगी (2001) | संराअमेरिका २०.६%, ब्रिटेन ५.३%, जापान/हांगकांग ४.८%, जर्मनी ४.४%, चीन ६.४%, | |
आर्थिक संगठन (सदस्य) | साफ्टा, आसियान और विश्व व्यापार संगठन | |
सार्वजनिक वित्त | ||
आय | ८६.६९ अरब डॉलर | |
व्यय | १०१.१ अरब डॉलर | |
पूँजी व्यय | १३.५ अरब डॉलर | |
वित्तीय सहायता ग्रहण (१९९८/९९) | २.९ अरब डॉलर | |
बाहरी ऋण | १०१.७ अरब डॉलर | |
ऋण | १.८१०७०१ अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद का ५९.७%) |
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।[३] क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल 2.4% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के 17% भाग को शरण प्रदान करता है।
1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियन्त्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परन्तु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हालाँकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं।
लॉकडाउन अथर्व्यवस्था प्रभाव
लॉकडाउन से भारत की अथर्व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा उसे आप दो रिपोर्ट में देखे -
- पहला CMIE का रिपोर्ट - ( सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ) अगर CMIE के रिपोर्ट देखे तो 20 अप्रैल तक 15 करोड़ तक लोगो की नौकरी जा चुकी है।
- दूसरा रिपोर्ट CII - ( कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री ) अगर CII की रिपोर्ट देखे तो 30 करोड़ लोगो की नौकरी जा चुकी होगी ! 15 मई तक 30 करोड़ लोगो की नौकरी जा चुकी होगी ! जो सबसे बड़ा इंडिया का बेरोजगारी होगा।
हमारा देश जो बहुत बड़ा है. 137+ करोड़ की जनसख्या है। 137 करोड़ में से 16 साल से ज्यादा लोग 100 करोड़ लोग रहते है ! और उस 100 करोड़ में से 30 करोड़ लोगो की नौकरी गई तो 30 % देश बेरोजगार हो गया तो देश की क्या हालत होगी आप तो समझ ही गए होंगे ! भारत के अथर्व्यवस्था में बहुत सारे दिक्क़ते आने वाली है !
पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था मानक मूल्यों (सांकेतिक) के आधार पर विश्व का पाँचवा सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था है।[४][५] अप्रैल २०१४ में जारी रिपोर्ट में वर्ष २०११ के विश्लेषण में विश्व बैंक ने "क्रयशक्ति समानता" (परचेज़िंग पावर पैरिटी) के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित किया। बैंक के इंटरनैशनल कंपेरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है। 2005 में यह 10वें स्थान पर थी।[३] २००३-२००४ में भारत विश्व में १२वीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था थी। संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (यूएनएसडी) के राष्ट्रीय लेखों के प्रमुख समाहार डाटाबेस, दिसम्बर 2013 के आधार पर की गई देशों की रैंकिंग के अनुसार वर्तमान मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार भारत की रैंकिंग 10 और प्रति व्यक्ति सकल आय के अनुसार भारत विश्व में 161वें स्थान पर है।[१]सन २००३ में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से विश्व बैंक के अनुसार भारत का 143 वाँ स्थान था।
इतिहास
साँचा:Main भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था। आर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के अनुसार पहली सदी से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9% था ; सन् 10०० में यह 28.9% था ; और सन् १७०० में 24.4% था।[६]
ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई।
आज़ादी के बाद से भारत का झुकाव समाजवादी प्रणाली की ओर रहा। सार्वजनिक उद्योगों तथा केंद्रीय आयोजन को बढ़ावा दिया गया। बीसवीं शताब्दी में सोवियत संघ के साथ साथ भारत में भी इस प्रणाली का अंत हो गया। 1991 में भारत को भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिसके फलस्वरूप भारत को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा। उसके बाद नरसिंह राव की सरकार ने वित्तमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद शुरु की जिसके बाद धीरे धीरे भारत विदेशी पूँजी निवेश का आकर्षण बना और संराअमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना। १९९१ के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता का दौर आरम्भ हुआ। इसके बाद से भारत ने प्रतिवर्ष लगभग 8% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। अप्रत्याशित रूप से वर्ष २००३ में भारत ने ८.४ प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की जो दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का एक संकेत समझा गया। यही नहीं 2005-06 और 2007-08 के बीच लगातार तीन वर्षों तक 9 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व विकास दर प्राप्त की। कुल मिलाकर 2004-05 से 2011-12 के दौरान भारत की वार्षिक विकास दर औसतन 8.3 प्रतिशत रही किंतु वैश्विक मंदी की मार के चलते 2012-13 और 2013-14 में 4.6 प्रतिशत की औसत पर पहुंच गई। लगातार दो वर्षों तक 5 प्रतिशत से कम की स.घ.उ. विकास दर, अंतिम बार 25 वर्ष पहले 1986-87 और 1987-88 में देखी गई थी।[२] साँचा:See also साँचा:See also
सकल घरेलू उत्पाद
2013-14 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद भारतीय रूपयों में - 113550.73 अरब रुपये था।[२]
आंकड़ा श्रेणियां | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
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स.घ.उ. (रु करोड़) (वर्तमान बाजार मूल्य) |
6477827 | 7784115 | 9009722 | 10113281 | 11355073 |
वृद्धि दर (%) | 15.1 | 20.2 | 15.7 | 12.2 | 12.3 |
स.घ.उ. (रु करोड़) (घटक लागत 2004-05 के मूल्य पर) |
4516071 | 4918533 | 5247530 | 5482111 | 5741791 |
वृद्धि दर (%) | 8.6 | 8.9 | 6.7 | 4.5 | 4.7 |
प्रति व्यक्ति निवल राष्ट्रीय आय (मौजूदा कीमतों पर उपादान लागत) |
46249 | 54021 | 61855 | 67839 | 4380 |
विभिन्न क्षेत्रों का योगदान
किसी समय में भारत कृषि प्रधान देश था किंतु नए आँकड़े बताते हैं कि यह देश अपनी विकास की यात्रा में काफी आगे निकल गया है तथा विकसित देशों के इतिहास को दोहराते हुए द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों का योगदान जीडीपी में बढ़ोतरी का रुझान दर्शा रहा है।[२]
आंकड़ा श्रेणियां | 1999-2000 | 2007-08 | 2012-13 | 2013-14 (अनुमान) |
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प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और सहबद्ध) |
23.2 | 16.8 | 13.9 | 13.9 |
द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग, खनन, विनिर्माण) |
26.8 | 28.7 | 27.3 | 26.1 |
तृतीयक क्षेत्र (सेवाएँ - व्यापार, होटल, परिवहन, संचार, वित्त बीमा आदि) |
50.00 | 54.4 | 58.8 | 59.9 |
भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादको में से है। इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं। भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेह, चावल, चाय चीनी, और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं।
यहाँ प्रतिभाशाली जनशक्ति का सबसे बडा पूल है। लगभग २ करोड भारतीय विदेशों में काम कर रहे है। और वे विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। भारत विश्व में साफ्टवेयर इंजीनियरों के सबसे बडे आपूर्ति कर्त्ताओं में से एक है और सिलिकॉन वैली में सयुंक्त राज्य अमेरिका में लगभग ३० % उद्यमी पूंजीपति भारतीय मूल के है।
भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है। लघु पैमाने का उद्योग क्षेत्र, जोकि प्रसार शील भारतीय उद्योग की रीड की हड्डी है, के अन्तर्गत लगभग ९५% औद्योगिक इकाईयां आती है। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन का ४०% और निर्यात का ३६% ३२ लाख पंजीकृत लघु उद्योग इकाईयों में लगभग एक करोड ८० लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है।
वर्ष २००३-२००४ में भारत का कुल व्यापार १४०.८६ अरब अमरीकी डालर था जो कि सकल घरेलु उत्पाद का २५.६% है। भारत का निर्यात ६३.६२% अरब अमरीकी डालर था और आयात ७७.२४ अरब डालर। निर्यात के मुख्य घटक थे विनिर्मित सामान (७५.०३%) कृषि उत्पाद (११.६७%) तथा लौह अयस्क एवं खनिज (३.६९%)।
वर्ष २००३-२००४ में साफ्टवेयर निर्यात, प्रवासी द्वारा भेजी राशि तथा पर्यटन के फलस्वरूप बाह्य अर्जन २२.१ अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया।
विदेशी मुद्रा भंडार
जून २०२१ तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 605.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया। अमेरिकी डॉलर की कीमत 75रुपए के स्तर पर जा पहुँची[२]
आंकड़ा श्रेणियां | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
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विदेशी मुद्रा भंडार (बिलियन अमेरिकी डॉलर) |
279.1 | 304.8 | 294.4 | 292.0 | 304.2 |
औसत विनिमय दर (रु / अमेरिकी डॉलर) |
47.44 | 45.56 | 47.92 | 54.41 | 60.5 |
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
वैश्विक निर्यातों और आयातों में भारत का हिस्सा वर्ष 2000 के क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत से बढ़ता हुआ वर्ष 2013 में क्रमशः 1.7 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत हो गया। भारत के कुल वस्तु व्यापार में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है जिसका सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा 2000-01 के 21.8 प्रतिशत से बढ़कर 2013-14 में 44.1 प्रतिशत हो गया।[२]
भारत का वस्तु निर्यात 2013-14 में 312.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (सीमा शुल्क आधार पर) तक जा पहुंचा। इसने 2012-13 के दौरान की 1.8 प्रतिशत के संकुचन की तुलना में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।[२]
2012-13 की तुलना में 2013-14 में आयातों के मूल्य में 8.3 प्रतिशत की गिरावट हुई जिसकी वजह तेल-भिन्न आयातों में 12.8 प्रतिशत की गिरावट रही। सरकार द्वारा किए गए अनेक उपायों के कारण सोने का आयात 2011-12 के 1078 टन से कम होकर 2012-13 में 1037 टन तथा और कम होकर 2013-14 में 664 टन रह गया। मूल्य के संदर्भ में, सोने और चांदी के आयात में 2013-14 में 40.1 प्रतिशत की गिरावट हुई और वह 33.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर पर आ गया। 2013-14 में आयातों में हुई जबरस्त गिरावट और साधारण निर्यात वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत का व्यापार घाटा 2012-13 के 190.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम होकर 137.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर पर आ गया जिससे चालू व्यापार घाटे में कमी आई।
चालू खाता घाटा
2012-13 में कैड में भारी वृद्धि हुई और यह 2011-12 के 78.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से कहीं अधिक 88.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (स.घ.उ. का 4.7 प्रतिशत) के रिकार्ड स्तर पर जा पहुंचा। सरकार द्वारा शीघ्रतापूर्वक किए गए कई उपायों जैसे सोने के आयात पर प्रतिबंध आदि के परिणामस्वरूप, व्यापार घाटा 2012-13 के 10.5 प्रतिशत से घटकर 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद का 7.9 प्रतिशत रह गया।[२]
Writer By -Sahil Shaikh
विदेशी ऋण
भारत का विदेशी ऋण स्टॉक मार्चांत 2012 के 360.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले मार्चांत 2013 में 404.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था। दिसम्बर 2013 के अंत तक यह बढ़कर 426.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।[२] चूंकि एक बिलियन डॉलर = एक अरब डॉलर इसलिए 426 बिलियन डॉलर = 426अरब डॉलर अब चूंकि एक डाॅलर= 60 रुपये इसलिए 426 अरब डॉलर = 426*60 अरब रुपये अर्थात 25560 अरब रुपये अर्थात 25560*100 करोड़ रुपये =2556000 करोड़ रुपये =पच्चीस लाख छप्पन हजार करोड़ रुपये।
रोज़गार
भारत में रोज़गार देने में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान[७] :
क्षेत्र/वर्ष | 1999-2000 | 2004-05 | 2011-12 |
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प्राथमिक (कृषि आदि) | 59.9 | 58.5 | 48.9 |
द्वितीयक (उद्योग आदि) | 16.4 | 18.2 | 24.3 |
तृतीयक (सेवाएँ) | 23.7 | 23.3 | 26.9 |
कर प्रणाली
भारत के केन्द्र सरकार द्वारा अर्जित आय[८] :
आँकड़े करोड़ रुपयों में नोट: १ करोड़ = १० मिलियन
नोट- योग में अंतर "अन्य" करों के कारण है।Head | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
---|---|---|---|---|---|
व्यक्तिगत आयकर | 122475 | 139069 | 164485 | 196512 | 237789 |
निगम कर | 244725 | 298688 | 322816 | 356326 | 394677 |
कुल प्रत्यक्ष कर | 367648 | 438477 | 488113 | 553705 | 633473 |
कस्टम | 83324 | 135813 | 149328 | 165346 | 172132 |
एक्साईज़ | 102991 | 137701 | 144901 | 175845 | 169469 |
सेवा कर (सर्विस टैक्स) | 58422 | 71016 | 97509 | 132601 | 154630 |
कुल अप्रत्यक्ष कर | 244737 | 344530 | 391738 | 473792 | 496231 |
कुल कर राजस्व | 624528 | 793072 | 889177 | 1036235 | 1133832 |
राजसहायता (सब्सिडी)
भारत में राजसहायता प्राप्त प्रमुख मदों की सूची तथा 2013-14 के आँकड़े व 2014-15 के बजट प्रावधान इस प्रकार हैं[९]:
मद | 2014-15 (बजट प्रावधान) |
2013-14 (जुलाई 2014 के संशोधित अनुमान) |
---|---|---|
उर्वरक सब्सिडी | 67970.30 | 67971.50 |
खाद्य सब्सिडी | 115000.00 | 92000.00 |
पैट्रोलियम सब्सिडी | 63426.95 | 85480.00 |
ब्याज सब्सिडी | 8462.88 | 8174.85 |
अन्य सब्सिडी | 847.49 | 1889.90 |
2008-09 के बाद से केन्द्रीय राजस्व घाटे में बढ़त कराने वाले प्रधान कारणों में से एक कारण सब्सिडियों का उत्तरोत्तर बढ़ते जाना रहा है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के अनंतिम वास्तविक आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में प्रधान सब्सिडियों का योग 2,47,596 करोड़ रुपए था। सब्सिडियों में तीव्र वृद्धि हुई है जो 2007-08 में स.घ.उ. के 1.42 प्रतिशत से बढ़ती हुई 2012-13 में स.घ.उ. के 2.56 प्रतिशत हो गई, 2013-14 (संशोधित अनुमान) के अनुसार यह स.घ.उ. का 2.26 प्रतिशत थी। उर्वरक सब्सिडी का अंशतः विनियंत्रण हुआ है, इसी प्रकार पेट्रोल की कीमतें विनियंत्रित कर दी गई हैं तथा डीजल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर की मासिक बढ़ोतरी करायी जा रही है।
इन्हें भी देखें
- भारत का आर्थिक इतिहास
- भारतीय अर्थव्यवस्था की समयरेखा
- ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था
- भारत का आर्थिक विकास
- भारत का विदेश व्यापार
- दस खरब डॉलर क्लब
सन्दर्भ
- ↑ १.० १.१ "प्रति व्यक्ति आय". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 25 जुलाई 2014. मूल से 11 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 जुलाई 2014.
- ↑ २.० २.१ २.२ २.३ २.४ २.५ २.६ २.७ २.८ २.९ "आर्थिक सर्वेक्षण, अर्थव्यवस्था की स्थिति" (PDF). वित्त मंत्रालय, भारत सरकार. जुलाई 2014. मूल (PDF) से 14 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि जुलाई 2014.
|accessdate=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ ३.० ३.१ "भारत बना दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी इकॉनमी". नवभारत टाईम्स. 30 अप्रैल 2014. मूल से 2 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अप्रैल 2014.
- ↑ "फ्रांस को पछाड़कर भारत दुनिया की पाँचवा बड़ी अर्थव्यवस्था बना".
- ↑ "India becomes world's sixth largest economy, muscles past France". मूल से 9 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जुलाई 2018.
- ↑ अंगस मैडिसन (Angus Maddison) 'द वर्ड इकनॉमी : अ इलेनिअल परस्पेक्टिव'
- ↑ रंगराजन सी॰, सीमा और ई॰एम॰ विबीश (2014), ‘डेवल्पमेंट्स इन दि वर्कफोर्स बिटवीन 2009-10 एंड 2011-12, इकनामिक एंड पॉलीटिकल वीकली, वाल्यूम XLIX (23)A
- ↑ केन्द्रीय बजट दस्तावेज और लेखा महानियंत्रक (सीजीए)।
- ↑ "राजसहायता में कमी". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 11जुलाई 2014. मूल से 14 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2014.
|date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
बाहरी कड़ियाँ
- वित्त मंत्रालय का आधिकारिक जालस्थल
- भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति या स्वभाव
- भारतीय अर्थव्यवस्था - आधारभूत विशेषताएँ एवं समस्यायें
- सवा लाख अरब रुपए से ज्यादा की इकोनॉमी बना भारत, केवल अमेरिका-चीन से पीछे हैं हम (भास्कर ; ३ जुलाई २०१५)
- आबादी के कारण भारत सबसे अमीर देशों की सूची में 7वें स्थान पर (अगस्त २०१६)
- भारत दुनिया में 39वीं सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था (वेबदुनिया ; सितम्बर २०१६)
- ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- भारतीय अर्थव्यवस्था (स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन)
- 200 साल तक जिसने गुलाम बनाकर लूटा उसी ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को आज भारत ने पछाड़ा (जनसत्ता , २० दिसम्बर २०१६)
- भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के 10 बड़े कारण (24-03-2017)
- भारत 10.1 अरब की फंडिंग के साथ उभरते बाजारों में नंबर वन (जुलाई, २०१७)
- India new global growth pole, to keep lead over China: Harvard (जुलाई २०१७)
- हार्वर्ड के बाद विश्व बैंक ने भी माना, तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था (जुलाई २०१७)
- मूडीज़ ने भी लगाई 'अच्छे दिन' पर मुहर, अटल सरकार के बाद अब बढ़ाई भारत की रेटिंग (नवम्बर २०१७)
- India Set To Be 5th Largest Economy in 2018, Overtaking UK, France: Report (दिसम्बर २०१७)
- India can do a Silicon Valley in 5 years, innovation ecosystem needs a boost: World Bank (इकनॉमिक टाइम्स ; ३ अप्रैल २०१८)
- India is world’s sixth largest economy at $2.6 trillion, says IMF (अप्रैल २०१८)
- India's economy is an elephant that's starting to run, says IMF (अगस्त २०१८)
- उच्च विकास दर के साथ भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (५ फरवरी २०१९)
- भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना (फरवरी २०२०)