मार्टिन लूथर किंग

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मार्टिन लूथर से भ्रमित न हों। यह लेख डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर के बारे में है जो अलग है

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डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (15 जनवरी 1929 – 4 अप्रैल 1968) अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी (ऐक्टिविस्ट) एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। उन्हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है। उनके प्रयत्नों से अमेरिका में नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति हुई; इसलिये उन्हें आज मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। दो चर्चों ने उनको सन्त के रूप में भी मान्यता प्रदान की है।

जीवनी

डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर का जन्म सन्‌ 1929 में अट्लांटा, अमेरिका में हुआ था। डॉ॰ किंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका में नीग्रो समुदाय के प्रति होने वाले भेदभाव के विरुद्ध सफल अहिंसात्मक आंदोलन का संचालन किया। सन्‌ 1955 का वर्ष उनके जीवन का निर्णायक मोड़ था। इसी वर्ष कोरेटा से उनका विवाह हुआ, उनको अमेरिका के दक्षिणी प्रांत अल्बामा के मांटगोमरी शहर में डेक्सटर एवेन्यू बॅपटिस्ट चर्च में प्रवचन देने बुलाया गया और इसी वर्ष मॉटगोमरी की सार्वजनिक बसों में काले-गोरे के भेद के विरुद्ध एक महिला श्रीमती रोज पार्क्स ने गिरफ्तारी दी। इसके बाद ही डॉ॰ किंग ने प्रसिद्ध बस आंदोलन चलाया।

पूरे 381 दिनों तक चले इस सत्याग्रही आंदोलन के बाद अमेरिकी बसों में काले-गोरे यात्रियों के लिए अलग-अलग सीटें रखने का प्रावधान खत्म कर दिया गया। बाद में उन्होंने धार्मिक नेताओं की मदद से समान नागरिक कानून आंदोलन अमेरिका के उत्तरी भाग में भी फैलाया। उन्हें सन्‌ 1964 में विश्व शांति के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियाँ दीं। धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें मेडल प्रदान किए। 'टाइम' पत्रिका ने उन्हें 1963 का 'मैन ऑफ द इयर' चुना। वे गांधीजी के अहिंसक आंदोलन से बेहद प्रभावित थे। गांधीजी के आदर्शों पर चलकर ही डॉ॰ किंग ने अमेरिका में इतना सफल आंदोलन चलाया, जिसे अधिकांश गोरों का भी समर्थन मिला। सन्‌ 1959 में उन्होंने भारत की यात्रा की। डॉ॰ किंग ने अखबारों में कई आलेख लिखे। 'स्ट्राइड टुवर्ड फ्रीडम' (1958) तथा 'व्हाय वी कैन नॉट वेट' (1964) उनकी लिखी दो पुस्तकें हैं। सन्‌ 1957 में उन्होंने साउथ क्रिश्चियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस की स्थापना की। डॉ॰ किंग की प्रिय उक्ति थी- 'हम वह नहीं हैं, जो हमें होना चाहिए और हम वह नहीं हैं, जो होने वाले हैं, लेकिन खुदा का शुक्र है कि हम वह भी नहीं हैं, जो हम थे।' 4 अप्रैल 1968 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

अंगूठाकार|21 दिसंबर, 1956 को एक मॉन्टगोमरी बस में रोजा पार्क , जिस दिन मॉन्टगोमरी की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को कानूनी रूप से एकीकृत किया गया था। पार्क्स के पीछे घटना को कवर करने वाला एक यूपीआई रिपोर्टर निकोलस सी। क्रिस है । अंगूठाकार


समुदाय से समिति पर था जिसने मामले को देखा; ईडी निक्सन और क्लिफोर्ड डूर ने पीछा करने के लिए एक बेहतर मामले की प्रतीक्षा करने का फैसला किया क्योंकि इस घटना में एक नाबालिग शामिल था।

नौ महीने बाद 1 दिसंबर, 1955 को, एक ऐसी ही घटना हुई जब रोजा पार्क्स को सिटी बस में अपनी सीट छोड़ने से इनकार करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। दो घटनाओं में मोंटगोमरी बस का बहिष्कार हुआ, जो निक्सन द्वारा निर्देशित और राजा द्वारा योजनाबद्ध था। यह बहिष्कार 5 दिनों तक चला और स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि राजा के घर पर बमबारी की गई । इस अभियान के दौरान राजा को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसका समापन संयुक्त राज्य की जिला अदालत के ब्राउडर बनाम गेल के साथ हुआ, जिसने सभी मॉन्टगोमरी सार्वजनिक बसों पर नस्लीय अलगाव को समाप्त कर दिया। बस के बहिष्कार में राजा की भूमिका ने उन्हें एक राष्ट्रीय व्यक्ति और नागरिक अधिकारों के आंदोलन के सबसे अच्छे प्रवक्ता के रूप में बदल दिया।

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