मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी

भारतपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:अबुल आला मौदुदी.jpg
मौलाना अबुल आला मौदूदी

मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी या अबुल आला मौदूदी (जन्म: 25 सितंबर 1903-1979; इंग्लिश: Abul A'la Maududi) मौलाना मौदूदी नाम से अधिक प्रसिद्ध, औपनिवेशिक भारतीय एवं पाकिस्तानी विद्वान, मुस्लिम दार्शनिक, क़ुरआन के अनुवादक' एवं टीकाकार।
जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के संस्थापक।

परिचय

औपनिवेशिक भारत के औरंगाबाद, हैदराबाद में जन्म लिया, उनके पिता मध्यवर्गीय थे, मौदूद चिश्ती (Maudood Chishti) के वंशज थे, उनका अंतिम नाम "मौदूदी", चिश्ती सिलसिल्लाह के पहले सदस्य, ख्वाजा सैयद कुतुब उल-दीन मौदूद चिश्ती से लिया गया था।
मुुुहम्मद इक़बाल की सलाह पर लाहौर,पाकिस्तान में रहने लगे। विल्फ्रेड केंटवेल स्मिथ द्वारा "आधुनिक इस्लाम के सबसे व्यवस्थित विचारक" के रूप में वर्णित।[१]
1941 में उन्होंने ‘जमात ए इस्लामी पाकिस्तान' की स्थापना की जिसके वे 1972 तक अमीर (अध्यक्ष) रहे, जो कि वर्तमान युग का बडा इस्लामी संगठन है। भारत में अलग 'जमात इस्लामी हिन्द'[२]बना।
1942 से 1967 तक की अवधि में उन्हें चार बार जेल जाना पड़ा, जहाँ पाकिस्तान की अनेक जेलों में पाँच वर्ष का समय व्यतीत हुआ।
1953 में तो उनकी पुस्तक "कादियानी मसला' को आधार बना कर फ़ौजी अदालत ने उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई जो बाद में आजीवन कारावास में बदल दी गयी।

पुस्तकें 

मौलाना मौदूदी ने 100 से भी अधिक पुस्तकें लिखीं। उन की पुस्तकों का देश-विदेश की 40 भाषाओं [३]में रूपांतरण हो चुका है।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर की इच्छा कि जिहाद के विषय पर ऐसी पुस्तक लिख दें जिसमें इस्लामी दृष्टिकोण से जिहाद का विवरण हो इस पर मौदूदी ने "अल-जिहाद फि अल-इस्लाम"[४] नामक पुस्तक लिखी। उस समय सैयद अबुल आला मौदूदी केवल 24 वर्ष के थे।
बिर्टिश लेखिका हुदा ख़त्ताब के सहयोग[५] से वो इंग्लिश में भी प्रकाशित हुई।
अल्लामा इकबाल ने इस पुस्तक के बारे में कहा था: [६]
"यह जिहाद की इस्लामी विचारधारा और उसके शांति और युद्ध के कानून पर एक उत्कृष्ट काम है और मैं हर जानकार व्यक्ति को इसका अध्ययन करने की सलाह देता हूं। मौलाना मौदूदी की पुस्तक 'इस्लाम धर्म'[७] भी बहुत चर्चित पुस्तकों में है।

पुरस्कार और सम्मान

सऊदी अरब में, किंग फैसल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 1979 में इस्लाम के लिए, उनकी सेवा के लिए मिला।
मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदीइतिहास में दूसरे व्यक्ति थे जिनकी गायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा काबा में पढ़ी गई थी, जिसमें बादशाह अश्म इब्न-अबजर भी थे ।

अंतिम समय

मौलाना अबुल अला मौदूदी की क़ब्र

अप्रैल 1979 में, किडनी की बीमारी के साथ उन्हें दिल की समस्याएं भी थीं। इलाज के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गए और न्यूयॉर्क के बफ़ेलो में भर्ती हुए , जहाँ उनके दूसरे बेटे ने एक चिकित्सक के रूप में काम किया था। कुछ शल्यक्रिया के बाद, 75 वर्ष की आयु में 22 सितंबर 1979 को मृत्यु हो गई, बाद में आपने आवास पर एक अचिह्नित कब्र अर्थात कच्ची कब्र में दफनाया गया था। 

बाहरी कडियां

सन्दर्भ

  1. Zebiri, Kate. Review of Maududi and the making of Islamic fundamentalism. Bulletin of the School of Oriental and African Studies, University of London, Vol. 61, No. 1.(1998), pp. 167–168.
  2. साँचा:Cite journal
  3. साँचा:Cite book
  4. साँचा:Cite journal
  5. साँचा:Cite book
  6. Jamal Malik, "Maudūdī’s al-Jihād fi’l-Islām. A Neglected Document" in Zeitschrift für Religionswissenschaft, volume 17, issue 1 (2009), p. 63
  7. साँचा:Cite journal

इन्हें भी देखें