राय बुलार भाटी

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राय बुलार भाटी, ( मृत्यु - 1515 ई) १५वीं शताब्दी के, एक भाटी मुसलमान राजपूत जमींदार थे तथा गुरु नानक जी के सबसे पहले शिष्य थे। उन्होने अपनी आधी जमीन (18,500 एकड़) गुरु नानक जी को दान कर दी थी।[१]

उन्हें अपने पिता राय भोई भट्टी से तलवंडी का जमींदार पद मिला।[१] राय बुलार और राय भोई हिंदू धर्म को छोड़कर मुसलमान बन गए थे[२]

एक धर्माभिमानी मुसलमान होने के बावजूद, राय बुलार , सिख गुरु नानक से प्रभाव हुए थे और और अपनी आधी जमीन 18,500 एकड़ गुरु नानक को दान कर दी दी थी। वह पहले कुछ लोगों में से थे जो नानक को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते थे जो विशेष रूप से भगवान द्वारा उपहार में दिया गया था। अब उसने जो जमीन दान की है, वह पाकिस्तान के एवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के नियंत्रण में है।[३]

बुलर के वंशज, भट्टियों का राय परिवार, 21 वीं सदी के माध्यम से इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाना जारी रखा है।[३]

सन्दर्भ

  1. १.० १.१ साँचा:Cite book page view, reading view
  2. Macauliffe, ibid. "Although the age was one of religious intolerance and persecution, Rai Bular appears to have been the very reverse of a bigot. His father and he were converted Hindus, …"
  3. ३.० ३.१ Garewal, Naveen S. (26 May 2007). "Guru Nanak's estate flourishes in Pakistan". अभिगमन तिथि 20 March 2014.

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