संकेत प्रसंस्करण

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संकेत प्रक्रमण (सिग्नल प्रोसेसिंग)

यद्यपि संकेत गैर-विद्युत प्रकृति के भी हो सकते हैं किन्तु अधिकांश संकेत विद्युत संकेत होते हैं या उन्हें संवेदक (सेंसर), संसूचक (डिटेक्टर) या परिवर्तक (ट्रन्स्ड्यूसर) की मदद से विद्युत स्वरूप में बदल दिया जाता है। इसके बाद विद्युत संकेतों को अधिक उपयोगी बनाने के लिये उन्हें अनेक प्रकार से परिवर्तित एवं संस्कारित किया जाता है। इस क्रिया को संकेत प्रसंस्करण (Signal processing) कहते हैं।

संकेत प्रसंस्करण आवश्यक क्यों है?

किसी स्रोत से प्राप्त विद्युत संकेत अपने मूल रूप में उपयोग के योग्य नहीं होते हैं। उनमें तरह-तरह की कमियाँ होती हैं। जैसे संकेत का बहुत क्षीण होना या कम वोल्टेज का होना; संकेत में अत्यधिक शोर (नॉयज) होना आदि। अतः विद्युत संकेतों को अधिक उपयोगी बनाने के लिये उन्हें अनेक प्रकार से परिवर्तित किया जाता है। इस क्रिया को [१] [२] [३] [४] [५] [६] [७] [८] [९] [१०] [११] [१२] [१३] [१४] [१५]संकेत प्रसंस्करण (Signal processing) कहते हैं।

उदाहरण के लिये किसी ईसीजी (ECG) प्रोब से प्राप्त संकेत बहुत ही कम वोल्ट का क्षीण संकेत होता है (कुछ माइक्रो-वोल्ट) जिसे उसी रूप में काम में नहीं लिया जा सकता। इसे परिवर्धित करके इसकी वोल्टता बढायी जाती है। अतः परिवर्धन (amplification) का कार्य एक संकेत प्रसंस्करण है। संकेत प्रसंस्करण का एलेक्ट्रॉनिकी में बहुत ही महत्व है। इसे एलेक्ट्रॉनिकी की आत्मा कहा जा सकता है।

इसी प्रकार किसी संकेत को समय-डोमेन से आवृत्ति-डोमेन में ट्रान्स्फार्म कर देने से उसके बारे में ऐसी जानकारी प्राप्त होती है जो समय-डोमेन में उतनी स्पष्ट नहीं होती।

विद्युत संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक दक्षतापूर्वक एवं कम खर्च में संचारित करने के लिये भी उनका प्रसंस्करण किया जाता है - जैसे मॉडुलेशन।

संकेत प्रसंस्करण के कुछ उदाहरण

किसी विद्युत संकेत को आवश्यकतानुसार अनेकों प्रकार के प्रसंस्करण से गुजरना पड़ सकता है; जैसे -

  • प्रवर्धक (amplification)
  • फिल्टरिंग (संकेतों का छानना) -- परम्परागत, आंकिक एवं अडेप्टिव
  • कोरिलेशन (correlation)
  • भण्डारण एवं पुनः रचना (reconstruction)
  • किसी संकेत या सूचना से नॉएज (noise) को छानकर अलग कर देना
  • आंकड़ा सम्पीडन (डेटा कम्प्रेशन) - जैसे ऑडियो कम्प्रेशन, इमेज कम्प्रेशन, विडियो कम्प्रेशन आदि
  • संकेत ट्रान्स्फार्मेशन (Transformation)
  • मॉडुलेशन
  • डीमॉडुलेशन
  • रेखीकरण (लिनिअराइजेशन)
  • कम्पन्शेशन (फीडबैक-कन्ट्रोल सिस्टम्स में) आदि
आधुनिक समय में कुछ क्षेत्र जहाँ संकेत प्रसंस्करण का सुन्दरतम उपयोग होता है
  • मोबाइल फोन
  • न्वायज कैंसिल करने वाले हेडफोन
  • सीडी/डीवीडी प्लेयर
  • आंकिक स्थिर/चल कैमरा (डिजिटल स्टिल्ल/विडियो कैमरा)
  • ईसीजी मशीन
  • रेडियो टेलिस्कोप
  • स्पीच/हैण्डराइटिंग पहचान
  • बायोमेट्रिक सुरक्षा तन्त्र

प्रसंस्करण के प्रकार

संकेतों का प्रसंस्करण उनके एनॉलॉग स्वरूप में ही किया जाता है तो इसे अनुरूप संकेत प्रसंस्करण (Analog signal processing) कहते हैं। उदाहरण के लिये संकेतों का आवर्धन एक एनॉलॉग संकेत प्रसंस्करण है। इसके बजाय यदि संकेतों को आंकिक (डिजिटल) स्वरूप में बदलने के बाद उनपर कुछ प्रसंस्करण किया जाता है तो वह आंकिक संकेत प्रसंस्करण कहलाता है। आजकल शक्तिशाली आंकिक युक्तियों के प्रादुर्भाव के कारण आंकिक संकेत प्रसंस्करण का महत्व, दायरा और शक्ति बढती जा रही है।

इसी प्रकार, संकेतों का प्रसंस्करण समय-प्रक्षेत्र (टाइम डोमेन) में किया जा सकता है अथवा आवृत्ति-प्रक्षेत्र में।

इन्हें भी देखें