सरना धर्म

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सरना धरम का प्रतीक-चिह्न
चित्र:Sarna worshippers following their religious rites.jpg
पूजा करते हुए सरना धरम के अनुयायी

सरना धर्म झारखण्ड के आदिवासियों का आदि धर्म है। परन्तु प्रत्येक राज्य आदिवासी ये धर्म को अलग-अलग नाम से जानते है और मानते है अर्थात जब आदिवासी आदिकाल में जंगलों में होते थे। उस समय से आदिवासी प्रकृति के सारे गुण और सारे नियम को समझते थे और सब प्रकृति के नियम पर चलते थे। उस समय से आदिवासी में जो पूजा पद्धति व परम्परा विद्यमान थी वही आज भी क़ायम रखे है। सरना धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। सरना धर्म में पेड़, पौधे, पहाड़ इत्यादि प्राकृतिक सम्पदा की पूजा की जाती है। [१]

चुंकि आदिवासी प्रकृति पूजक है, प्रकृति पूजक सरना धर्म को 'आदि धर्म' भी कहा जाता रहा है। सरना धर्म आदिवासियों में "हो", "संथाल", "मुण्डा", "उराँव" , "कुड़मी महतो" इत्यादि खास तौर पर इसको मानते हैं। जानकारी के अभाव में सरना धर्म को छोड़ कर बहुत से आदिवासी लोग ईसाई धर्म , हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म अपना रहे हैं। जिससे [२] जो कि आदिकाल से जिस परम्परा को मानते आ रहा है, उसे छोड़ने पर विवश हैं। सरना धर्म के अंदर अधिकतर परंपराएं प्रकृति पूजक मानी जाती है जिस प्रकार से सनातन धर्म में भी प्रकृति को पूजा जाता है, उसी प्रकार से सरना के अंदर भी आदिवासी लोग प्रकृति को पूजते हैं!

संस्थान

  • अखिल भारतीय सरना धरम
  • अखिल भारतीय सरना धरम मण्डोवा
  • केंद्रीय सरना समिति

सरना धरम की जनसांख्यिकी

जाहेर थान या जाहेर गाड़

यह भी देखे

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. National Council of Educational Research and Training. "Social and Political Life - III". Publication Department, NCERT, 2009, p.83.
  2. "The Green Revolution in India"U.S. Library of Congress (released in public domain). Library of Congress Country Studies. Retrieved 2007-10-06.