सिख धर्म की आलोचना

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साँचा:सिख धर्म सन्दूक सिख धर्म की आलोचना अक्सर अन्य धर्मों या सिद्धांतों के मानने वालों के द्वारा की गई है।

धर्मशास्र

स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी किताब सत्यार्थ प्रकाश में सिख धर्म की आलोचना की थी, उन्होंने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक को एक "दुष्ट" क़रार दिया था और उन्होंने सिख धार्मिक ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब को "असत्यता" क़रार दिया था। स्वामी दयानन्द का मानना था कि सिख धर्म साधारण लोगों के साथ छल करने की एक विधि है। पंजाब का दौरा करने के बाद स्वामी दयानन्द ने अपनी किताब से यह आलोचनात्मक पाठ को मिटाने का फ़ैसला लिया था लेकिन उनकी मौत के बाद यह आलोचनात्मक पाठ उनकी किताब में रह गए।[१]

जर्मन भाषाविद और मिशनरी अर्नेस्ट ट्रम्प ने संपूर्ण गुरु ग्रन्थ साहिब को अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद करने के लायक़ नहीं समझा[२] क्योंकि उनके ख़्याल से गुरु ग्रन्थ साहिब बहुत ही असंबद्ध और दोहरावदार है।[३]

सिख धर्मशास्र के अनुसार एकेश्वरवाद की विचारधारा सर्वप्रथम सिख गुरुओं के द्वारा स्थापित हुई थी, जबकि असल में एकेश्वरवाद का उल्लेख वेद, भगवद गीता, तोरा, क़ुरआन आदि धर्मग्रन्थ में मिला जा सकता है, जो सिख गुरुओं से अधिक प्राचीन है।[४][५][६][७][८]

सिख धर्मशास्र की मौलिकता पर संदेह उत्पन्न हुई है क्योंकि यह हिन्दू धर्म (ख़ासकर भक्ति आंदोलन) और इस्लाम (ख़ासकर सूफ़ीवाद) का एक मिश्रण या संयोजन के नज़र से देखा जा सकता है।[९][१०][११]

व्यवहार

केश काटना

सिख धर्म में केश (पंजाबी में केस, पाँच 'क' में से एक) यानि बाल काटना मना है, यह अक्सर आलोचना तथा पूछताछ का बहुत अहम बिन्दु है।[१२][१३]

हिंसा

साँचा:मुख्य आरोप है कि सिख धर्म हिंसा को बढ़ावा देता है क्योंकि सिख इतिहास में कई बार हिंसक कार्रवायों का प्रचार हुआ है,[१४] जैसे कि ख़ालसा पंथ में सैन्यीकरण और खंडे (एक सिख धार्मिक चिन्ह) पर शस्त्रों का चित्रण।[१५][१६]

सिखों का मानना है कि हिंसा एक अंतिम उपाय के रूप में स्वीकार्य है। सिख धर्म में शस्त्रों को पवित्र माना गया है क्योंकि यह तथाकथित बुरी ताक़तों से लड़ने में सहायक है।[१७]

जातीय-धार्मिक समूह

सिख धर्म के अनुयायी आम तौर पर पंजाब क्षेत्र (हाल में पंजाब, भारत) के जाट तथा खत्री लोग होते हैं।[१८][१९][२०]

महिला अधिकार

सिख धर्मशास्र मुख्य रूप से महिलाओं के अधिकार का समर्थन करता है अर्थात लैंगिक समानता का समर्थन करता है,[२१] किंतु पंजाबी संस्कृति की कुछ परंपराओं के कारण से आधुनिक सिख समाज में सिख महिलाओं की मौजूदा स्थिति सिख पुरुषों के समान नहीं है।[२२][२३]

सन्दर्भ

  1. "Reduced to Ashes: The Insurgency and Human Rights in Punjab ..., Volume 1", p.16
  2. साँचा:Cite book
  3. साँचा:Cite book
  4. साँचा:Cite book
  5. "Divine Message Of God To Mankind Vedas" by J.M. Mehta, Chapter '12. Worship of God'.
  6. साँचा:Cite book
  7. "Modern Scholarship in the Study of Torah", p.165, by Shalom Carmy
  8. "One God in One Man" By C. T. Benedict, page.179
  9. "Propositional Religions 5 - Sikhism". अभिगमन तिथि 1 September 2014.
  10. "Flawed Definitions of Sikhism". THE SIKH COALITION. मूल से 6 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 September 2014.
  11. साँचा:Cite book
  12. Dr. Birendra Kaur (1998). "Hail Hair!" (PDF). पृ॰ 5. अभिगमन तिथि 1 September 2014.
  13. "Q: Why do Sikhs keep hair?". RealSikhism. अभिगमन तिथि 1 September 2014.
  14. साँचा:Cite book
  15. साँचा:Cite book
  16. साँचा:Cite book
  17. साँचा:Cite book
  18. साँचा:Cite book
  19. साँचा:Cite book
  20. साँचा:Cite book
  21. साँचा:Cite book
  22. Kaur, Shiha (13 April 2010). "Sikhism - A Feminist Religion?". The F Word.
  23. साँचा:Cite book

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