सुनीति कुमार चटर्जी
साँचा:ज्ञानसन्दूक व्यक्ति सुनीति कुमार चटर्जी (बांग्ला: সুনীতি কুমার চ্যাটার্জী ; 26 अक्टूबर, 1890 - 29 मई, 1977) भारत के जानेमाने भाषाविद् तथा साहित्यकार थे। वे एक लोकप्रिय कला-प्रेमी भी थे।
जीवनी
सुनीति कुमार चटर्जी का जन्म हावड़ा के शिवपुर गाँव में 26 अक्टूबर 1890 को हुआ।[१] वे हरिदास चट्टोपाध्याय के पुत्र थे। वे मेधावी छात्र थे। उन्होंने मोतीलाल सील के मुफ़्त चलने वाले स्कूल से 1907 में एंट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण की और योग्यता सूची में छठे स्थान पर रहे। सन् 1911 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता से अंग्रेजी ऑनर्स से उन्होंने प्रथम श्रेणी तथा तृतीय स्थान प्राप्त किया। 1913 में अंग्रेजी में ही उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1919 में अपनी संस्कृत योग्यता के कारण उन्होंने प्रेमचन्द रायचन्द छात्रवृत्ति तथा जुबली शोध पुरस्कार प्राप्त किया। भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर 1909 में लन्दन विश्वविद्यालय से उन्होंने ध्वनिशास्त्र में डिप्लोमा लिया साथ ही भारोपीय भाषा-विज्ञान, प्राकृत, पारसी, प्राचीन आयरिश, गौथिक और अन्य भाषाओं का अध्ययन किया। इसके बाद वे पेरिस गए और वहां के ऐतिहासिक विश्वविद्यालय सरबोन में भारतीय-आर्य, स्लाव और भारोपीय भाषा विज्ञान, ग्रीक व लैटिन पर शोधकार्य किया। १९२१ में उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय से ही डी० लिट्० की उपाधि प्राप्त की। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की मलय, सुमात्रा, जावा और बाली की यात्रा के समय वे उनके साथ रहे और भारतीय कला और संस्कृति पर अनेक व्याख्यान दिए।[२]
भारत लौट कर वे 1922 से 1952 तक कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर आसीन रहे। 1952 में सेवा निवृत्ति के बाद अवकाशप्राप्त प्रोफेसर बने और 1964 में उन्हें राष्ट्रीय प्रोफेसर की उपाधि मिली। पश्चिम बंगाल की विधान परिषद में वे 1952 से 1958 तक प्रवक्ता रहे। सन् 1961 में उन्होंने बंगीय साहित्य परिषद् में अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के द्वारा उन्हें संस्कृत कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया तथा 1969 से 1977 तक वे साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद पर कार्य करते रहे। भाषा के गंभीर अध्ययन तथा उससे सम्बन्धित प्रकाशित ग्रन्थों ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई।[३] वे नागरीप्रचारणी सभा के भी पदाधिकारी रहे।[४] उनकी बांग्ला भाषा का उद्भव तथा विकास ("ओरिजिन एंड डिवलपमेंट ऑफ़ द बेंगाली लेंगुएज") नामक पुस्तक विद्यार्थियों के बीच काफी प्रसिद्ध रही। वे ग्रीक, लैटिन, फ़्रेंच, इतालवी, जर्मन, अंग्रेज़ी, संस्कृत, फ़ारसी तथा दर्जनों आधुनिक भारतीय भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने 15 पुस्तकें बांग्ला भाषा में, 21 पुस्तकें अंग्रेज़ी भाषा में तथा 7 पुस्तकें हिन्दी भाषा में प्रकाशित की। भाषातत्वज्ञ एवं मनीषी विद्वान् ने संस्कृत भाषा में अनेक लेख लिखे। वे एक अच्छे संस्कृत कवि भी थे। उन्हें सन् १९५६ में निर्मित संस्कृत आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।
29 मई 1977 को कोलकाता में उनका देहांत हो गया।
प्रमुख रचनाएँ
Bibliography
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Bibliographies of Suniti Kumar Chatterji's work have also been published:
सम्मान एवं पुरस्कार
- १९३५ रायल एशियाटिक सोसायटी के फेलो निर्वाचित
- १९४८ हिन्दी भाषा में विशेष योगदान के लिए 'साहित्य वाचस्पति' की उपाधि प्रदत्त
- १९५० लन्दन की 'सोसाइटि ऑफ आर्टस ऐण्ड साइन्स' की सदस्यता प्राप्त की।
- १९५२-१९५८ पर्यन्त पश्चिम बंगाल विधान परिषद के अध्यक्ष रहे।
- १९५६ संस्कृत आयोग के अध्यक्ष बनाए गए।
- १९६३ भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से सम्मानित
- १९६६ भारत के 'राष्ट्रीय अध्यापक' का सम्मान
- १९६९ साहित्य अकादमी के सभापति निर्वाचित।
सन्दर्भ
टीका-टिप्पणी
- ↑ "डॉ॰ सुनीति कुमार चटर्जी स्मारक व्याख्यान". टी.डी.आई.एल. मूल (एचटीएम) से 16 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2007.
- ↑ "Chatterji, Suniti Kumar" (अंग्रेज़ी में). banglapedia. banglapedia/HT/C_0149.htm मूल जाँचें
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मान (मदद) (एचटीएम) से 7 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2007.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link) - ↑ "Suniti Kumar Chatterji's View of Language and Linguistics" (अंग्रेज़ी में). The Indira Gandhi National Centre for the Arts (IGNCA). मूल (एचटीएम) से 28 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2007.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "नागरीप्रचारिणी सभा: संक्षिप्त परिचय". नागरी प्रचारिणी सभा. मूल (पीएचपी) से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2007.
- ↑ "Suniti Kumar Chatterji" (अंग्रेज़ी में). getCITED. मूल (एचटीएम) से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2007.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)