होम्योपैथी

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होम्योपैथी एक छद्म-वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है।[१][२][३][४] होम्योपैथिक तैयारी किसी भी स्थिति या बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी नहीं हैं; बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययनों में होमियोपैथी को प्लेसीबो से अधिक प्रभावी नहीं पाया गया है।[५][६][७] होम्‍योपैथी चिकित्‍सा छद्म-विज्ञान के जन्‍मदाता सैमुएल हैनीमेन है। यह चिकित्सा के 'समरूपता के सिंद्धात' पर आधारित है जिसके अनुसार औषधियाँ उन रोगों से मिलते जुलते रोग दूर कर सकती हैं, जिन्हें वे उत्पन्न कर सकती हैं। औषधि की रोगहर शक्ति जिससे उत्पन्न हो सकने वाले लक्षणों पर निर्भर है। जिन्हें रोग के लक्षणों के समान किंतु उनसे प्रबल होना चाहिए। अत: रोग अत्यंत निश्चयपूर्वक, जड़ से, अविलंब और सदा के लिए नष्ट और समाप्त उसी औषधि से हो सकता है जो मानव शरीर में, रोग के लक्षणों से प्रबल और लक्षणों से अत्यंत मिलते जुलते सभी लक्षण उत्पन्न कर सके।साँचा:Cn

होमियोपैथी पद्धति में चिकित्सक का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए जीवन-इतिहास एवं रोगलक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करनेवाली औषधि का चुनाव करना है। रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। चिकित्सक का अनुभव उसका सबसे बड़ा सहायक होता है। पुराने और कठिन रोग की चिकित्सा के लिए रोगी और चिकित्सक दोनों के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। कुछ होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के समर्थकों का मत है कि रोग का कारण शरीर में शोराविष की वृद्धि है।

होमियोपैथी चिकित्सकों की धारणा है कि प्रत्येक जीवित प्राणी हमें इंद्रियों के क्रियाशील आदर्श (Êfunctional norm) को बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है औरे जब यह क्रियाशील आदर्श विकृत होता है, तब प्राणी में इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए अनेक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। प्राणी को औषधि द्वारा केवल उसके प्रयास में सहायता मिलती है। औषधि अल्प मात्रा में देनी चाहिए, क्योंकि बीमारी में रोगी अतिसंवेगी होता है। औषधि की अल्प मात्रा प्रभावकारी होती है जिससे केवल एक ही प्रभाव प्रकट होता है और कोई दुशपरिणाम नहीं होते। रुग्णावस्था में ऊतकों की रूपांतरित संग्राहकता के कारण यह एकावस्था (monophasic) प्रभाव स्वास्थ्य के पुन: स्थापन में विनियमित हो जाता है। विद्वान होम्योपैथी को छद्म विज्ञान मानते हैं।

२१वीं सदी में मेटा-विश्लेषणों की एक श्रृंखला ने दिखाया है कि होम्योपैथी के चिकित्सीय दावों में वैज्ञानिक औचित्य का अभाव है। नतीजतन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों ने स्वास्थ्य देखभाल में होम्योपैथी के लिए सरकारी धन को वापस लेने की सिफारिश की है। ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, स्विटज़रलैंड और फ़्रांस के राष्ट्रीय निकायों के साथ-साथ यूरोपीय अकादमियों की विज्ञान सलाहकार परिषद और रूसी विज्ञान अकादमी ने सभी ने निष्कर्ष निकाला है कि होम्योपैथी अप्रभावी है, और किसी भी अधिक धन प्राप्त करने के अभ्यास के खिलाफ सिफारिश की गई है। [८][९][१०][११] इंग्लैंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा अब होम्योपैथिक उपचारों के लिए धन उपलब्ध नहीं कराती है और स्वास्थ्य विभाग से होम्योपैथिक उपचारों को निषिद्ध दवाओं की सूची में जोड़ने के लिए कहा है।[१२][१३][१४] फ्रांस ने २०२१ में फंडिंग हटा दी,[१५][१६] जबकि स्पेन ने भी स्वास्थ्य केंद्रों से होम्योपैथी और अन्य छद्म चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाने के कदमों की घोषणा की।[१७]

होम्योपैथी के सिद्धान्त एवं नियम

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समरूपता या सादृश्य नियम (Law of Similar)

डा हैनिमैन द्वारा प्रवर्तित होमियोपैथी का मूल सिद्धांत है - "सिमिलिया सिमिविबस क्यूरेंटर" (Similia Similibus Curanter / " सम: समम शमयति ") अर्थात् रोग उन्हीं औषधियों से निरापद रूप से, शीघ्रातिशीघ्र और अत्यंत प्रभावशाली रूप से निरोग होते हैं, जो रोगी के रोगलक्षणों से मिलते-जुलते लक्षण उत्पन्न करने में सक्षम हैं।

दूसरे शब्दों में, इस नियम के अनुसार जिस औषधि की अधिक मात्रा स्वस्थ शरीर में जो विकार पैदा करती है उसी औषधि की लघु मात्रा वैसे समलक्षण वाले प्राकृतिक लक्षणॊं को नष्ट भी करती है। उदाहरण के लिये कच्चे प्याज काटने पर जुकाम के जो लक्षण उभरते हैं जैसे नाक, आँख से पानी निकलना उसी प्रकार के जुकाम के स्थिति में होम्योपैथिक औषधि ऐलीयम सीपा देने से ठीक भी हो जाता है।

एकमेव औषधि (Single Medicine)

होम्योपैथी में रोगियों को एक समय में एक ही औषधि को देने का निर्देश दिया जाता है।

हानेमान ने अनुभव के आधार पर एक बार में केवल एक औषधि का विधान निश्चित किया था, किंतु अब इस मत में भी पर्याप्त परिवर्तन हो गया है। आधुनिक चिकित्सकों में से कुछ तो हानेमान के बताए मार्ग पर चल रहे हैं और कुछ लोगों ने अपना स्वतंत्र मार्ग निश्चित किया है और एक बार में दो, तीन औषधियों का प्रयोग करते हैं।

औषधि की न्यून मात्रा (The Minimum dose)

सदृश विज्ञान के आधार पर रोगी की चयन की गई औषधि की मात्रा अति नयून होनी चाहिये ताकि दवा के दुष्परिणाम न दिखें। प्रथमत: यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सफ़ल करने में घटक का काम करता है। होम्योपैथिक औषधि को विशेष रूप से तैयार किया जाता है जिसे औषधि शक्तिकरण का नाम दिया जाता है। ठॊस पदार्थों को ट्राच्यूरेशन और तरल पदार्थों को सक्शन प्रणाली से तैयार किया जाता है।

व्यक्तिपरक और संपूर्ण चिकित्सा (Individualization & Totality of Symptoms)

यह एक मूल प्रसंग है। यह सच भी है कि होम्योपैथी रोगों के नाम पर चिकित्सा नहीं करती। वास्तव में यह रोग से ग्रसित व्यक्ति के मानसिक, भावत्मक तथा शारीरिक आदि सभी पहलूहॊं की चिकित्सा करती है। अस्थमा (asthma) के पाँच रोगियों की होम्योपैथी में एक ही दवा से चिकित्सा नहीं की जा सकती। संपूर्ण लक्षण के आधार पर यह पाँच रोगियों में अलग-२ औषधियाँ निर्धारित की जा सकती हैं।

जीवनी शक्ति (Vital Force)

हैनिमैन ने मनुष्य के शरीर में जीवनी शक्ति को पहचान कर यह प्रतिपादित किया कि यह जीवनी शक्ति शरीर को बाह्य रूप से आक्रमण करने वाले रोगों से बचाती है। परन्तु रोग्की अवस्था में यह जीवनी शक्ति रोग ग्रसित हो जाती है। सदृश विज्ञान के आधार पर चयन की गई औषधि इस जीवनी शक्ति के विकार को नष्ट कर शरीर को रोग मुक्त करती है।

मियाज्म (रोग बीज) (Miasm)

हैनिमैन ने पाया कि सभी पुराने रोगों के आधारभूत कारण सोरा (psora), साइकोसिस (sycosis) और सिफ़िलिस (syphlis) हैं। इनको हैनिमैन ने मियाज्म शब्द दिया जिसका यूनानी अर्थ है - प्रदूषित करना।

औषधि प्रमाणन (Drug Proving)

औषधि को चिकित्सा हेतु उपयोग करने के लिये उनकी थेरापुयिटक क्षमता का ज्ञान होना आवशयक है। औषधि प्रमाणन होम्योपैथी में ऐसी प्रकिया है जिसमे औषधियों की स्वस्थ मनुष्यों में प्रयोग करके दवा के मूल लक्षणॊं का ज्ञान किया जाता है। इन औषधियों का प्रमाणन स्वस्थ मनुष्यों पर किया जाता है और इनसे होने वाले लक्षणॊं की जानकारी के आधार पर सदृशता विज्ञान की मदद से रोगों का इलाज किया जाता है।

होम्योपैथिक औषधियों के स्केल

इस चिकित्सा पद्धति का महत्वपूर्ण पक्ष औषधि सामर्थ्य है। प्रारंभ में हानेमान उच्च सामर्थ्य (200, 10000) की औषधि प्रयुक्त करते थे, किंतु अनुभव से इन्होंने निम्नसामर्थ्य (1X, 3X, 6X, 12X या 6, 12, 30) की औषधि का प्रयोग भी प्रभावकारी पाया। उन्होंने पाया कि अनेकों बार जहाँ बीमारी के शारीरिक परिवर्तन या बाह्य कारक (Patholagical changes) मौजूद हैं वहाँ निम्नसामर्थ्य की औषधि बेहतर कार्य करती है।

होम्योपैथिक औषधियों में तीन प्रकार के स्केल प्रयोग किये जाते हैं -

  • (क) डेसीमल स्केल (Decimal Scale)
  • (ख) सेन्टीसमल स्केल (Centesimal Scale)
  • (ग) ५० मिलीसीमल स्केल (50 Millesimial scale)

डेसीमल स्केल

इसमें में दवा के एक भाग को vehicle (शुगर आग मिल्क या अल्कोहल) के नौ भाग में मिलाकर triturate या succussion की प्रक्रिया की जाती है। इनसे बनने वाली औषधि की स्केल को "x" शब्द से जाना जाता है जैसे काली फ़ास 6x, एकोनाइट 3x इत्यादि। अधिकाँशतयः ठोस औषधियों में प्रयुक्त की जाने वाली इस इस स्केल में 1x बनाने के लिये दवा का एक भाग और दुग्ध-शर्करा का ९ भाग लेते हैं, तरल औषधियों में 1x बनाने हेतु एक भाग मूलार्क और ९ भाग अल्कोहल का प्रयोग होता है। इससे आगे 2x के लिये 1x का एक भाग और ९ भाग दुग्ध शर्करा अथवा अल्कोहल का लेते हैं ; ऐसे ही आगे कई पोटेन्सी बनाने के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग लेते हुये आगे की पावर को बढाते हैं।

सेन्टीसमल स्केल

इसमें दवा के एक भाग को vehicle (अल्कोहल) के ९९ भाग से सक्कशन किया जाता है। इनकी इनसे बनने वाली औषधियों को दवा की शक्ति "c" से जाना जाता है। जैसे ३०c, २००c, १०००c आदि। सक्कशन सिर्फ़ दवा के मूल अर्क को अल्कोहल में मिलाना भर नहीं है बल्कि उसे सक्कशन (एक निशचित विधि से स्ट्रोक देना) करना है। आजकल सक्कशन के लिये स्वचालित मशीन का प्रयोग किया जाता है जब कि पुराने समय में यह स्वयं ही हाथ से बनानी होती थी। पहली पोटेन्सी बनाने के लिये दवा के मूल अर्क का एक हिस्सा और ९९ भाग अल्कोहल लिया जाता है, इसको १० बार सक्शन कर के पहली पोटेन्सी तैयार होती है ; इसी तरह दूसरी पोटेन्सी के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग और ९९ भाग अल्कोहल ; इसी तरह आगे की पोटेन्सी तैयार की जाती हैं।

होम्योपैथी के विरोध के कारणों में एक प्रमुख कारण होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा भी है।

होमियोपैथी दवाएँ

होमियोपैथी दवाएँ अर्क (Tincture), संपेषण (Trituration) तथा तनुताओं (Dilutions) के रूप में होती है और कुछ ईथर या ग्लिसरीन में धुली होती हैं, जैसे सर्पविष। अर्क मुख्यतया पशु तथा वनस्पति जगत् से व्युत्पन्न हैं। इन्हें विशिष्ट रस, मूल अर्क या मैटिक्स टिंचर कहते हैं और इनका प्रतीक ग्रीक अक्षर 'थीटा' है। मैट्रिक्स टिंचर तथा संपेषण से विभिन्न सामर्थ्यों (Potencies) को तैयार करने की विधियाँ समान हैं।

तनुताओं (Dilutions) में भिन्न-भिन्न सामर्थ्य की औषधियाँ तैयार की जाती हैं। मूलार्क से प्रारम्भ करने के बाद तनुता के मापक्रम में हम ज्यों-ज्यों ऊपर बढ़ते हैं, त्यों-त्यों अपरिष्कृत पदार्थ से दूर हटते जाते हैं यही कारण है कि होमियोपैथी विधि से निर्मित औषधियाँ सामान्यतः विषहीन एवं अहानिकारक होती हैं। इन औषधियों में आश्चर्यजनक प्रभावशाली औषधीय गुण होता है। ये रोगनाशन में प्रबल और शरीर गठन के प्रति निष्क्रिय होता हैं।

गंधक, पारा, संखिया, जस्ता, टिन, बेराइटा, सोना, चाँदी, लोहा, चूना, ताँबा, तथा टेल्यूरियम इत्यादि तत्वों तथा अन्य बहुत से पदार्थों से औषधियाँ बनाई गई हैं। तत्वों के यौगिकों से भी औषधियाँ बनी हैं। होमियोपैथी औषधविवरणी में 260 से 270 तक औषधियों का वर्णन किया गया है। इनमें से अधिकांश का स्वस्थ नर, नारी या बच्चों पर परीक्षण (Drug Proving) कर रोगोत्पादक गुण निश्चित किए गए हैं। शेष दवाओं को विवरणी में अनुभवसिद्ध होने के नाते स्थान दिया गया है।

इन्हें भी देखें

संदर्भ

  1. साँचा:Cite book
  2. साँचा:Cite journal
  3. साँचा:Cite book
  4. साँचा:Cite book
  5. साँचा:Cite journal
  6. साँचा:Cite journal
  7. "Evidence Check 2: Homeopathy – Science and Technology Committee". British House of Commons Science and Technology Committee. February 22, 2010. अभिगमन तिथि April 5, 2014.
  8. Musgrave, I (April 8, 2014). "No evidence homeopathy is effective: NHMRC review". The Conversation. अभिगमन तिथि January 10, 2015.
  9. "Swiss make New Year's regulations". Swiss Info. अभिगमन तिथि December 16, 2015.
  10. "Homeopathic remedies are 'nonsense and risk significant harm' say 29 European scientific bodies". The Independent. September 23, 2017. अभिगमन तिथि October 10, 2017.
  11. "Memorandum #2. Homeopathy as pseudoscience". Commission on Pseudoscience. 2017-02-07. अभिगमन तिथि June 25, 2019.
  12. "NHS to ban homeopathy and herbal medicine, as 'misuse of resources'". Daily Telegraph. July 21, 2017. अभिगमन तिथि July 21, 2017.
  13. Donnelly, Laura (5 June 2018). "High Court backs NHS decision to stop funding homeopathy". Daily Telegraph. अभिगमन तिथि 26 August 2018.
  14. Gallagher, James (2015-11-13). "Homeopathy 'could be blacklisted'". BBC News (English में). अभिगमन तिथि 2017-12-05.
  15. France-Presse, Agence (2019-07-10). "France to stop reimbursing patients for homeopathy". The Guardian (English में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0261-3077. अभिगमन तिथि 2019-07-30.
  16. Homéopathie : 2021 signe la fin du remboursement
  17. Güell, Oriol (2018-11-14). "Spain moves to ban pseudo-therapies from universities and health centers". El País (English में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1134-6582. अभिगमन तिथि 2019-07-30.

बाहरी कड़ियाँ

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