मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

तुर्की भाषा परिवार

भारतपीडिया से
विश्व के देश (गाढ़े नीले रंग में) और प्रदेश (हलके नीले रंग में) जहाँ तुर्की भाषाओँ को सरकारी मान्यता प्राप्त है
सन् 735 के लगभग तराशे गए एक ओरख़ोन शिलालेख का हिस्सा
यूरेशिया में तुर्की भाषाओँ का फैलाव

तुर्की भाषाएँ पैंतीस से भी अधिक भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। तुर्की भाषाएँ पूर्वी यूरोप और भूमध्य सागर से लेकर साईबेरिया और पश्चिमी चीन तक बोली जाती हैं। कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें अल्ताई भाषा परिवार की एक शाखा मानते हैं। विश्व में लगभग 16.5 से 18 करोड़ लोग तुर्की भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अगर सभी तुर्की भाषाओँ को बोल सकने वालों की गणना की जाए तो क़रीब 25 करोड़ लोग इन्हें बोल सकते हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली तुर्की भाषा का नाम भी तुर्की है, हालाँकि कभी-कभी इसे अनातोल्वी भी कहा जाता है (क्योंकि यह अनातोलिया में बोली जाती है)।

विशेषताएँ

तुर्की भाषाओँ में कुछ विशेषताएँ देखी जा सकती हैं -

  • अभिश्लेषण (अग्लूटिनेशन) - तुर्की भाषाओं में शब्द छोटे अर्थपूर्ण रूपिमों को जोड़-जोड़कर बनाए जाते हैं। मिसाल के लिए उईग़ुर भाषा (जो तुर्की परिवार की एक सदस्या है) में चार रूपिमों (अत/घोड़ा, लर/बहुवाची, इम/मेरा, ग़ा/को) को जोड़कर "अतलरिमग़ा" शब्द बनता है जिसका अर्थ है "मेरे घोड़ों को"।[१]
  • स्वर सहयोग - बहुत कम को छोड़कर, लगभग सारी तुर्की भाषाओँ में कुछ स्वर एक साथ किसी शब्द में आ सकते हैं और कुछ स्वरों को एक शब्द में एक-साथ मौजूद होने की अनुमति नहीं है।
  • लिंग या अन्य तत्वों का व्याकरण में भेद नहीं - हिंदी में लिंग और संख्या के अनुसार संज्ञाओं और अन्य शब्दों के रूप बदलते हैं ("घोड़ा होता है, घोड़ी होती है, घोड़े होते हैं")। तुर्की भाषाओँ में ऐसा कुछ नहीं है।

इतिहास और हिंदी पर प्रभाव

मंगोलिया की ओरख़ोन घाटी में स्थित ओरख़ोन शिलालेख किसी भी तुर्की भाषा में मिले सब से पुराने लेख हैं और इनमें प्रयोगित भाषा को पुरानी तुर्की भाषा कहा जाता है। यह शिलाएँ 732 और 735 ई॰ के बीच के काल में कुल तिगिन और बिलगे क़ाग़ान नामक दो गोकतुर्क क़बीले के सरदारों के सम्मान में खड़ी की गई थीं। तुर्की भाषाओँ पर सबसे पहला गहरा अध्ययन काराख़ान सल्तनत के वासी कश्गरली महमूद ने अपनी 11वीं शताब्दी में लिखी किताब "दिवानुए लुग़ातित तुऍर्क" में पूरा किया। यह तुर्की बोलियों का सब से पहला विस्तृत शब्दकोश था और इसमें तुर्की भाषाएँ बोलने वालों के फैलाव का सब से पहला ज्ञात नक़्शा था।

छठी शताब्दी के बाद तुर्की-भाषी फ़ौजें पूरे मध्य एशिया पर हावी हो गईं। अफ़्ग़ानिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों पर भी इनका क़ब्ज़ा हो गया। दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के सभी शासक (जैसे कि कुतुब-उद-दीन ऐबक, इल्तुतमिश वग़ैरा) और मुग़ल साम्राज्य के प्रथम शासक बाबर तुर्की मातृभाषी थे। बाबर द्वारा लिखित ऐतिहासिक वर्णन बाबरनामा भी तुर्की परिवार की चग़त​ई भाषा में लिखा हुआ है। इस प्रभाव से तुर्की के बहुत से शब्द फ़ारसी, हिंदी-उर्दू, रूसी और हंगेरियाई भाषा में समा गए। हिंदी में तुर्की शब्दों की सूची बहुत लम्बी है और यह शब्द अक्सर अरबी-फ़ारसी से भिन्न और हिंदी के देशज शब्दों की तरह ही लगते हैं, जैसे कि नौकर, बहादुर, चादर, चमचा, कैंची, हवा, छतरी, कुली (सामान उठाने वाला) और तोप।

उच्चारण सहायता

ध्यान दें कि इस लेख में और तुर्की भाषाओँ में प्रयोग होने वाले 'ख़' वर्ण का सही उच्चारण 'ख' से ज़रा भिन्न होता है। इसी तरह 'ग़' वर्ण का सही उच्चारण 'ग' से भिन्न होता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Spoken Uyghur साँचा:Webarchive, Reinhard F. Hahn, University of Washington Press, 2006, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780295986517.