एकल विद्यालय
साँचा:स्रोतहीन साँचा:Infobox organisation साँचा:Infobox साँचा:Infobox non-profit एकल विद्यालय 'एक शिक्षक वाले विद्यालय' हैं जो विगत कई वर्षो से भारत के उपेक्षित और आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में एकल विद्यालय फाउंडेशन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में इस समय (October, २019) 99209से अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं। ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे रहे हैं। भारत के वर्तमान में 65 हजार गांवों के 26 लाख वनवासी बच्चों को एकल विद्यालय फाउंडेशन मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यहां बुनियादी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गो को स्वास्थ्य, विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है।
कार्यपद्धति
इस योजना का वैशिष्ट्य यह है कि विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिये संबधित ग्राम के ही एक शिक्षित युवक/युवती को शिक्षक/आचार्य के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। इस प्रशिक्षण में संभावित आचार्य को न केवल शिक्षण कला का ही ज्ञान कराया जाता है वरन् अन्य बातें - जैसे प्राथमिक चिकित्सा, बच्चों को संस्कार-संपन्न बनाना, खेल-कूद कराना आदि के बारे में भी आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता है। इन विद्यालयों में गांव के लगभग ३०-४० बच्चे हंसी-खुशी और खेल-कूद के वातावरण में अनौपचारिक रीति से कक्षा ३ तक की शिक्षा प्राप्त करते हैं जिसके पश्चात इन बच्चों को नियमित विद्यालयों में भर्ती करा दिया जाता है।
एकल विद्यालय की स्थापना, पाठ्यक्रम का चयन, स्कूल का समय और शिक्षक के चयन तक में स्थानीय लोगों की भागीदारी होती है। बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करने के लिए फाउंडेशन स्थानीय भाषा में ही शिक्षण सुविधा उपलब्ध कराता है। स्थानीय समुदाय में से ही शिक्षक का चयन किया जाता है, ताकि बच्चों की भाषा, संस्कृति और परंपरा का उन्हें ज्ञान हो।
पाठ्यक्रम में बच्चों को बुनियादी शिक्षा और जीने के तौर-तरीकों के बारे में भी बताया जाता है, ताकि उनमें आत्मविश्वास की भावना पैदा हो और ग्रामीण जीवनस्तर से ऊपर उठकर वे उच्च शिक्षा हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
गुल्लक योजना
एक बालक दूसरे बालक के दर्द को समझे और बाल्यकाल से ही देश के संस्कार उनमें प्रस्फुटित हों इस लिये परिषद् ने एक गुल्लक योजना भी चलाई है जिसको लेकर माता-पिता, अभिभावकों व बच्चों में काफी उत्साह है। बालकों में छोटी आयु से ही छोटे-छोटे दान / थोड़े - थोड़े पैसे गुल्लक में डाल कर असमर्थों की सहायता और समाज सेवा की भावना जगती है।
इतिहास
"आओ जलायें दीप वहां, जहां अभी भी अंधेरा है" - यही ध्येयवाक्य लेकर भारत लोक शिक्षा परिषद् (पंजीकृत) ने वर्ष 2000 में भारत के उन बीहड़ स्थानों, जंगलों और पर्वतीय क्षेत्रों में व्याप्त निरक्षरता के अंधकार को मिटाने के लिये एकल विद्यालय योजना का सूत्रपात किया था। वर्ष 2000 में 78 विद्यालयों से आरंभ करते हुए वर्ष 2005 तक 1410 विद्यालय खोले जा चुके थे।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- एकल विद्यालय का जालघर
- एक का दमसाँचा:Dead link (पाञ्चजन्य)
- समाज परिवर्तन का एक सशक्त अभियान एकल विद्यालय (राँची एक्सप्रेस)
- शिक्षा और विकास का एकल प्रयास
- मध्य प्रदेश में एकल विद्यालय अभियान - आ रहा है बदलाव - पुरुषोत्तम सोढानी
- Ekal collects $ 420,000 for tribal schools