गामा किरण

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गामा किरण (γ-किरण) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण या फोटॉन हैं, जो परमाणु-नाभिक के रेडियोसक्रिय क्षय से उत्पन्न होता है। गामा किरणों के फोटॉनों की ऊर्जा अब तक प्रेक्षित अन्य सभी फोटॉनों की ऊर्जा से अधिक होती है। सन 1900 में फ्रांस के भौतिकशास्त्री हेनरी बेकुरल ने इसकी खोज की थी जब वे रेडियम से निकलने वाले विकिरण का अध्ययन कर रहे थे।

जब परमाणु का नाभिक एक उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर पर क्ष्यित होता है तो इस प्रक्रिया में गामा किरणें निकली हैं। इस प्रक्रिया को गामा-क्षय (gamma decay) कहा जाता है।

अपने ऊँचे ऊर्जा स्तर के कारण, जैविक कोशिका द्वारा सोख लिए जाने पर अत्यंत नुकसान पहुँचा सकती हैं। गामा किरण नाभिक में से अल्फा और बीटा के निकलने से बनता है । यह सबसे अधिक वेधन छमता वाला किरण होता है।

गुणधर्म

इसका भेदन क्षमता अल्फा तथा बीटा किरणों के मुकाबले अधिक होता है ये किरणें गैस को आयनीकृत कर देती हैं।

शील्डिंग

पदार्थ के साथ अनुक्रिया

कोबाल्ट-६० का क्षय

जब गामा किरणें किसी पदार्थ से होकर गुजरती हैं तो पदार्थ द्वारा इन किरणों को अवशोषित किये जाने की प्रायिकता उस पदार्थ की परत की मोटाई, पदार्थ के घनत्व, तथा पदार्थ के अवशोषण-प्रतिच्छेद (absorption cross section) के समानुपाती होती है। पदार्थ के अन्दर x-दूरी पार करने के बाद गामा किरणों की तीव्रता निम्नलिखित सूत्र से दी जा सकती है-

<math>I(x) = I_0 \cdot e ^{-\mu x}</math>

जहाँ μ = nσ को अवशोषण गुणांक कहते हैं (इकाई cm−1) ; n पदार्थ के प्रति cm3 में परमाणुओं की संख्या है ; तथा σ अवशोषण प्रतिच्छेद है (इकाई cm2)

पदार्थ से होकर गुजरते समय गामा विकिरण पदार्थ का आयनीकरण कर देता है। यह आयनीकरण तीन प्रक्रमों द्वारा होता है-

उपयोग

अल्फा, बीटा, गामा की भेदन क्षमता का चित्रात्मक निरूपण
  • गामा किरणे, ब्रह्माण्ड में होने वाली अति उच्च ऊर्जा वाली परिघटनाओं के बारे में जानकारी देता है।
  • गामा किरणों के द्वारा आनविक परिवर्तन किया जा सकता है। इसी प्रक्रिया द्वारा अर्ध-रत्नों (semi-precious stones) के गुणों को बदला जाता है।
  • संवेदक (सेन्सर) - स्तर (levels), घनत्व तथा मोटाई मापने के लिये।
  • जीवाणुओं को मारने के लिये - इसे गामा किरणन कहते हैं। गामा किरणन द्वारा चिकित्सा उपकरणों का रोगाणुनाशन (sterilization) किया जाता है जो रासायनिक विधि तथा अन्य विधियों से की जाने वाले रोगाणुनाशन का विकल्प बनकर उभरी है।
  • गामा किरणों के द्वारा भोज्य पदार्थों से उन जीवाणुओं को मार दिया जाता है जो उनका क्षय करते हैं।
  • फल और शब्जियों का अंकुरण रोकने के लिये, या अंकुरण की गति कम करने के लिये या अंकुरण में देरी करने के लिए।
  • कैंसर की चिकित्सा में (गामा किरणों के कारण कैंसर भी हो सकता है।)
यूएसए में कस्टम्स पर गामा किरणों के द्वारा लिया गया ट्रक के अन्दर का फोटो

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